
नई दिल्ली। दिल्ली के मावलंकर हाल में लेखिका अरुंधति राय और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के बीच खूब जुबानी जंग हुआ। मौका था। बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुणधति राय की पुस्तक “एक था गांधी- एक था संत” के हिन्दी अनुवाद का विमोचन कार्यक्रम का। कार्यक्रम 5 अप्रैल को दिल्ली के मावलंकर हॉल में हुआ। इस दौरान बतौर अतिथि पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने अरुणधति राय की इस बात को लेकर आलोचना किया कि एनीहिलेशन ऑफ कॉस्ट की भूमिका में अरुणधति ने इस किताब को लोगों के बीच ले जाने का काम किया।
दरअसल पुस्तक का हिन्दी अनुवाद दिल्ली विवि के हिन्दू कॉलेज में पढ़ाने वाले इतिहासकार और एक्टिविस्ट और विद्वान अनिल यादव ‘जयहिंद’ ने किया है। पुस्तक का हिन्दी अनुवाद राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। विमोचन कार्यक्रम में बतौर अतिथि वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, दिलीप मंडल, लेखिका एवं एक्टिविस्ट अनिता भारती, डॉ. मनीषा बांगर और सुनील सरदार मौजूद थे। इस मौके पर सबने अपनी बात रखी। पुस्तक के अनुवादक अनिल जयहिंद ने इस किताब के हिन्दी में अनुवाद की कहानी बताई। अनिता भारती ने कहा कि उन्होंने इस किताब को पूरा पढ़ा है और इस किताब ने गांधी की पोल खोल कर रख दी है। उर्मिलेश जी और डॉ. मनीषा बांगर ने इस प्रयास के लिए अरुणधति राय और अनुवादकों का धन्यवाद किया।

हालांकि कार्यक्रम में तब अजीब स्थिति पैदा हो गई जब बोलने आए दिलीप मंडल ने अरुंधति राय की मंच से ही आलोचना करनी शुरू कर दी। हालांकि उन्होंने तर्कों के आधार पर आलोचना की लेकिन एक समय सबके लिए असहज स्थिति पैदा हो गई। दिलीप मंडल ने कहा कि वो अरुंधति राय को इस बात की इजाजत नहीं देते हैं कि वो ‘एनीहीलेशन ऑफ कॉस्ट’ को अपनी किताब बताएं। उन्होंने इस सवाल को भी उठाया कि आज गूगल पर इस किताब को सर्च करने पर लेखकों में अरुंधति राय का नाम आता है। हालांकि अरुंधति राय ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी क्लेम नहीं किया है और इस किताब की सिर्फ भूमिका लिखी है।
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अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।