नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता और प्रवक्ता संजय सिंह 24 अगस्त को अचानक एससी-एसटी कोर्ट पहुंचे. संजय सिंह दलित उत्पीड़न और मारपीट के मामले में पिछले 10 साल से फरार चल रहे थे. गुरूवार को उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया. एससी-एसटी कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए 26 अगस्त को फिर से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है.
दरअसल, संजय सिंह ने अपने साथियों के साथ दस साल पहले सदर तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय में कार्यरत दलित लिपिक रामसागर के साथ मारपीट की और उन्हें जातिसूचक गालियां भी दी. रामसागर ने संजय सिंह और उनके साथ अनिल द्विवेदी और आशुतोष सिंह पर सरकारी कार्यालय में घुसकर मारपीट करने और दलित उत्पीड़न का मुकदमा नगर कोतवाली में दर्ज करवाया था.
पुलिस दर्ज एफआईआर के मुताबिक पांच जून 2007 को रजिस्ट्री कार्यालय में संजय सिंह अपने भाई की शादी का प्रमाण पत्र बनवाने गए थे. औपचारिकताएं अपूर्ण होने के कारण लिपिक ने दस्तावेज पूरा करने की बात कही. इसी बात पर रामसागर को संजय और उनके साथ में अनिल और आशुतोष ने जातिसूचक गालियां देकर पिटाई की.
तीनों के खिलाफ पुलिस ने 29 अगस्त 2007 को चार्जशीट दाखिल की थी. उसके बाद कोर्ट में उन्हें समन भेज कर तलब किया था. आरोपितों के हाजिर नहीं होने पर बीते साल तीन फरवरी से कोर्ट ने गभड़िया निवासी संजय सिंह, अनिल द्विवेदी तथा निरालानगर निवासी आशुतोष सिंह पर गैर जमानती वारंट जारी किया है.
घटना के समय संजय सिंह, सपा के पूर्व विधायक अनूप सण्डा के पीआरओ थे. संजय ने वारंट के बाद अधिवक्ता रुद्र प्रताप सिंह, अरविन्द सिंह राजा के माध्यम से कोर्ट में सरेंडर किया. विशेष कोर्ट के जज उत्कर्ष चतुर्वेदी ने उन्हें अन्तरिम जमानत दी. साथ ही 26 अगस्त को फिर से हाजिर होने का आदेश दिया है. उस दिन नियमित जमानत पर सुनवाई होगी. मामले में अनिल द्विवेदी और आशुतोष सिंह अब भी हाजिर नहीं हुए हैं.

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