मेरठ। पारिवारिक और सियासी विवाद के कारण पूर्व मंत्री शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद वेस्ट यूपी की राजनीति में बदलाव तौर पर देखा जा रहा था. कयास लगाए जा रहे थे कि समाजवादी पार्टी (एसपी) समेत दूसरे दलों के उपेक्षित नेता मोर्चे को अपना ठिकाना बना सकते हैं. लेकिन गठन के एक सप्ताह बाद भी कोई सियासी व्यक्तित्व मोर्चे का हिस्सा नहीं बना है. इसे लेकर एसपी में सुकून महसूस किया जा रहा है. वहीं मोर्चा के नेताओं का तर्क है कि जल्दबाजी में हल्का कदम नहीं उठाने की रणनीति पर चलकर जल्द बड़ा धमाल मचाएंगे और सामूहिक तौर पर बड़े सियासी लोगों को शामिल कर ताकत दिखाई जाएगी.
शिवपाल यादव ने एसपी में खुद की बेइज्जती की इंतहा होने की बात कहकर 29 अगस्त को सेक्युलर मोर्चा गठित करने का एलान किया था. दो दिन बाद 31 अगस्त को उन्होंने अपने मोर्चे की रणनीति का ऐलान करने के लिए वेस्ट यूपी को चुना था. शिवपाल ने मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें अच्छी भीड़ भी जुटी थी. इससे गदगद शिवपाल ने 2019 में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करते हुए, 2022 तक की सियासी रणनीति का खुलासा कर दिया था. शिवपाल ने इस दौरान एसपी समेत दूसरे दलों की उपेक्षित नेताओं को मोर्चे में आने का खुला निमंत्रण भी दिया था.
शिवपाल के निमंत्रण के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वेस्ट यूपी में बड़े पैमाने पर एसपी समेत दूसरे दलों के कई बड़े चेहरे मोर्चे का हिस्सा बनेंगे. सभी राजनीतिक दलों ने अपने लोगों की निगरानी शुरू कर दी थी, जो लोग हाशिए पर थे. सियासी दल उनको मुख्यधारा में लाने के लिए मुलाकात करने लगे थे, लेकिन एक सप्ताह बाद भी किसी दल का कोई नेता या वर्कर मोर्चे से नहीं जुड़ा है. वेस्ट यूपी में मोर्चे गठन के बाद स्वागत करने के लिए या पार्टी के प्रचार के लिए किसी तरह का बैनर-पोस्टर भी देखने को नहीं मिल रहा.
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