अहमदाबाद। क्या हो जब कानून के रखवाले खुद कानून को हाथ में लेकर लोगों पर अत्याचार करने लगें? क्या हो जब लोग गुंडो से ज़्यादा पुलिसवालों से डरें और क्या हो जब पुलिस हिरासत में भी लोग असुरक्षित महसूस करें. पुलिस की ऐसी ही गुंडई गुजरात के अहमदाबाद के अमराईवाड़ी में देखने को मिली जब पुलिस ने 38 साल के दलित युवक को बेवजह हिरासत में लेकर बेरहमी से पीटा. उसका गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने बगैर वर्दी के पुलिसवाले को आम आदमी समझ कर अपने घर के बाहर हो रही घटना के बारे में पूछ लिया.

पीड़ित हर्षद जादव के मुताबिक 29 दिसंबर की सुबह अपने घर के बाहर जमा भीड़ देखकर उन्होंने पास खड़े एक व्यक्ति से घटना के बारे में जानने की कोशिश की. उनके यह पूछने पर उस व्यक्ति ने हर्षद के गाल पर चांटा जड़ दिया. अपना बचाव करते हुए जब हर्षद ने उसे पीछे की तरफ धकेला तो उस व्यक्ति ने खुद को पुलिसवाला बताते हुए डंडे से उन्हें जमकर पीटा. इतना ही नहीं जब जादव की पत्नी उनका बचाव करने आई तो उनकी पत्नी को भी बुरी तरह पीटा गया.
हर्षद का आरोप है कि उसे 5 घंटे तक हवालात में बंद रखने के बाद डीसीपी हिमकर सिंह ने उसे बुलाकर जाति पूछी. एक पुलिस वाले के बताने पर कि मैं दलित हूं; डीसीपी ने मुझसे उस पुलिसवाले के पैरों में गिर कर माफी मांगने को कहा. डर के मारे मैंने ऐसा किया भी. मेरे ऐसा करने के बाद डीसीपी ने मुझसे उस कॉन्सटेबल के जूते चाट कर मांफी मांगने को कहा. उसी शाम मुझे कोर्ट में पेश किया गया और बाद में ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
इंग्लिश लिट्रेचर में ग्रैजुएट हर्षद जादव ने जब इस पूरे मामले के बारे में अपने पिता को बताया तो उन्होंने दलित समाज के कुछ लोगों के साथ मिलकर पुलिस के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कराई. फिलहाल मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपा दिया गया है.

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।