नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बसपा से बर्खास्त करने की हकीकत

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नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा प्रमुख का कच्चा चिट्ठा खोलने की बात कह रहे हैं, लेकिन उस हकीकत को नहीं बता रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें निकाला गया. असल में नसीमुद्दीन सिद्दीकी को निकाले जाने की वजह उनकी अपनी करतूत थी. वह पार्टी में रहकर, पार्टी से ही छल कर रहे थे. वह बसपा प्रमुख मायावती को लगातार धोखा दे रहे थे और उनका कच्चा चिट्ठा खुल जाने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया.

हालांकि यह भी सच है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को अपना पक्ष रखने के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने खुद बुलाया था, लेकिन कल तक बहनजी के एक बुलावे पर भाग कर उनके आवास पर पहुंचने वाले सिद्दीकी इस बार नहीं पहुंचे. क्योंकि सिद्दीकी को पता लग गया था कि बहनजी उनकी करतूतों को जान गई हैं और उनके पास खुद को सही साबित करने का कोई रास्ता नहीं था.

नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बसपा से बाहर करने की जो सच्चाई पार्टी के अंदर से आ रही है, वह कुछ और कहानी बयां कर रही है. बसपा के विश्वस्त सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सिद्दीकी ने चुनाव से पहले पार्टी फंड के नाम पर पश्चीमी उत्तर प्रदेश में कई धनाढ्य लोगों से पैसे लिए थे. सिद्दीकी ने उनको आश्वासन दिया था कि जब बसपा की सरकार आएगी तो वह उनका ‘काम’ करवाएंगे. बसपा जब विधानसभा चुनाव में हार गई तो वो लोग सिद्दीकी से पैसे मांगने लगे. चूंकि वो ताकतवर लोग थे इसलिए सिद्दीकी उनकी आवाज और मांग को दबा नहीं सकें.

बात आगे बढ़ी तो मामला बहनजी तक जा पहुंचा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन कद्दावर लोगों ने बहनजी से मिलकर इस बाबत शिकायत की. उन्होंने नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बारे में चुनाव के दौरान की कई अन्य बातें भी बताई जो पार्टी के खिलाफ गई थी. बातचीत में सिद्दीकी का कच्चा चिट्ठा खुलने लगा. बहनजी को सिद्दीकी की सच्चाई जानकर झटका लगा, क्योंकि सिद्दीकी ने बहनजी का नाम लेकर तमाम वादें और आश्वास लोगों से किए थे, जिनकी जानकारी खुद पार्टी प्रमुख मायावती को नहीं थी. सिद्दीकी ने जिन लोगों से पार्टी फंड के नाम पर पैसे लिए थे, वो उसे भी खुद ही डकार गए और पार्टी को इसकी भनक तक नहीं लगी.

सारी सच्चाई जानने के बाद जिन मायावती ने चुनाव में हार के बाद कार्यकर्ताओं द्वारा सिद्दीकी को हटाए जाने की मांग की अनदेखी कर दी थी, वो सकते में थीं. हालांकि सिद्दीकी के पार्टी को दिए गए तीन दशक को देखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें अपनी सफाई का मौका देने के लिए बुलाया. उन्होंने सिद्दीकी को आरोप लगाने वाले लोगों के सामने आकर अपनी सफाई देने की खबर भिजवाई लेकिन सिद्दीकी इस बुलावे के बावजूद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के घर अपना पक्ष रखने नहीं पहुंचे. इससे साफ हो गया था कि लोगों का आरोप सच है और नसीमुद्दीन लगातार पार्टी को और बसपा प्रमुख को कई मामलों में गुमराह करते रहे. लिजाहा उन्हें उनके बेटे के साथ पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया.

1 COMMENT

  1. excellent work for our socity .and plz do good and writ downt on next edition in dalit dastak about reservation .it is very mendetory and important at persent time .so plz write write and write .

    thanks & regards
    surendra deepak
    jaipur

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