राजपूतों को लेकर दिलिप मंडल का खतरनाक पोस्ट

rajput

क्ष से क्षत्रिय.
यानी ब्राह्मण से नीचे की कटेगरी का वर्ण. ब्रह्मा के कंधे से उत्पत्ति.
जाति का कर्म- शस्त्र संचालन, युद्ध करना, और रक्षा करना.
हे क्षत्रियों,
इस देश में सब तरह के हमलावर आए. शक आए, हूण आए, मंगोल आए, गुलाम वंश वाले आए, तुर्क आए, अफगान आए, मुगल आए, फ्रांसिसी आए, पुर्तगीज आए, अंग्रेज आए.
तुम किससे लड़े भाई?
देश की रक्षा के लिए तुमने किया क्या? तुम्हारी तलवारें कर क्या रही थीं?
हथियार तो शास्त्रसम्मत तरीके से सिर्फ क्षत्रियों के पास थे. वे अपने काम में निकम्मे साबित हुए. हर हमलावर भारत में जीता.
क्षत्रियों ने किसी हमलावर को ज्यादा परेशान नहीं किया.
एक बात मान लो.
तुम्हारे पास एक ही काम था. ब्राह्मणों की लठैती का. उनके लिए तुम नीचे की जातियों को कंट्रोल करते थे. तुम्हारे हथियार इसी काम आए. तुम्हारी तलवारें कमजोरों के खिलाफ चलीं.
तुम्हारे लिए शौर्य का यही मतलब था.
देश की रक्षा जैसा कोई गौरव तुम्हारे पास कभी नहीं था. क्योंकि वह काम तुमने कभी किया ही नहीं.
ब्राह्मण ज्ञान के क्षेत्र में निकम्मे साबित हुए और क्षत्रिय रक्षा में. मैं ब्राह्मणों को ज्यादा दोषी इसलिए मानता हूं क्योंकि जाति बनाई ब्राह्मणों ने है.
भारत को ब्राह्मणों ने बीमार बनाया है.
लेकिन अब भारत में सब बीमार हैं. हर जाति को अपने नीचे जातियां दिखती हैं, वे उस पर जुल्म करते हैं. नीचे की जातियां भी बराबर बीमार हैं.
**
राजपूतों की बहादुरी का कोई जवाब नहीं था साहेब. अंग्रेजों ने देखते ही पहचान लिया था. तो साहेब हुआ यह कि जब अंग्रेजों को लगा कि इतने बड़े भारत पर सिर्फ गोरे सिपाहियों के बूते राज करना नहीं हो पाएगा. तो उन्होंने देश पर नजर दौड़ाई. सबसे बहादुर और सबसे वफादार और अंग्रेजों की सेवा करने के लिए उपलब्ध बिरादरियों की तलाश शुरू हुई.
जाहिर है राजपूतों पर अंग्रेज साहेबों की नजर सबसे पहले इनायत हुई.
मतलब आप समझ रहे हैं कि कितने बहादुर होंगे राजपूत.
1778 में राजपूतों की पहली बटालियन अंग्रजों की फौज में शामिल हो गई और देश भर में अंग्रेजों का राज स्थापित करने में लग गई. उस समय इन टुकड़ियों में हिंदू जातियों में से सिर्फ राजपूतों को रखा जाता था.
1778 तक मुख्य रूप से सिर्फ बंगाल ही अंग्रेजों के कब्जे में था. बाकी देश को कब्जे में लेने के लिए अंग्रेज फौज सजा रहे थे और राजपूत इस फौज में शामिल होने वालों में सबसे आगे थे.
राजपूतों ने अपने खूब जलवे दिखाए. सबसे पहले उन्होंने टीपू सुल्तान के बाप हैदर अली के खिलाफ तमिलनाडु के कड्डलोर में लड़ाई लड़ी. इन बहादुरों ने हैजरी अली से कड्डलोर छीनकर उसे अंग्रेजों के हवाले कर दिया.
1803 में उन्होंने दिल्ली पर धावा बोला और मराठों को दिल्ली से भगाकर दिल्ली अंग्रेजों के हवाले कर दी.
फिर 1805 में वे जाट राजा के होश ठिकाने लगाने भरतपुर पहुंचे और अंग्रेजों की ओर से जाटों को सबक सिखाया.
फिर वे एंग्लो सिख युद्धों में सिखों के खिलाफ लड़े और आखिरकार सिखों को भी हराया.
1857 की लड़ाई में सिख टुकड़ियों ने बागियों के होश ठिकाने लगा दिए. दिल्ली और अवध की लड़ाई इन्होंने ही अंग्रेजों के लिए जीतीं.
उसके बाद भी…मतलब क्या बताएं किस्से इनकी बहादुरी के. पूरा गौरवशाली अध्याय है.
अंग्रेजों ने भी इनकी झोली खाली नहीं रहने दी.
बहादुरों का अंग्रेज बहुत सम्मान करते थे. दिल्ली में तमाम राजपूत राजाओं के शानदार महल यूं ही नहीं बने.
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दिल्ली में इंडिया गेट के आसपास आपने ढेर सारे भवन और हाउस देखे होंगे. उनमें सबसे ज्यादा हाउस आन-बान और शान वालों के हैं. जैसे धौलपुर हाउस, बीकानेर हाउस, जयपुर हाउस, कोटा हाउस, जोधपुर हाउस, अलवर हाउस, बाड़मेर हाउस, जैसलमेर हाउस वगैरह, वगैरह. मतलब कि जितने राजा उतने हाउस..
अंग्रेजों ने अपनी राजधानी में ये हाउस बनवाए थे. जो भी अंग्रेजों की गुलामी करने को तैयार हुआ उसके हाउस हैं. जो लड़े उनके हाउस नहीं हैं.
टीपू के वंशजों का हाउस नहीं है. झांसी हाउस भी नहीं है. अवध हाउस नहीं है.
जिनके हाउस बने, उनके लिए जरूरी था कि वे दिल्ली बुलाए जाने पर आएं. वहां ठहरें और परिवार को वहां रखें. बाकी कुछ बताने की जरूरत नहीं है.
तो इतनी ज्यादा आन-बान और शान थी ठाकुर साहबों की.

दिलिप मंडल

5 COMMENTS

  1. घर का कुत्ता घर का न घाट का*

    *सवर्ण हिन्दू इतने वीर थे कि मुगलों को डर से अपनी बेटिया ब्याह दी :अंजलि शर्मा*
    .
    वीरता इतनी की जान बचाने के लिए बेटियां ब्याह दी मुग़ल बादशाहो से। अंग्रेजो ने बेटियां लेने से मना कर दिया तो सवर्ण हिन्दू युध्द हार गए और देश 7वीं बार गुलाम बन गया।
    “अकबर”
    – जनवरी 1562- राजा भारमल की बेटी से अकबर की शादी (कछवाहा-अंबेर)
    – 15 नवंबर 1570- राय कल्याण सिंह की भतीजी से अकबर की शादी (राठौर-बीकानेर)
    – 1570- मालदेव की बेटी रुक्मावती का अकबर से विवाह (राठौर-जोधपुर)
    – 1573- नगरकोट के राजा जयचंद की बेटी से अकबर की शादी (नगरकोट)
    – मार्च 1577- डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)
    – 1581- केशवदास की बेटी की अकबर से शादी (राठौर-मोरता)
    “जहांगीर”
    – 16 फरवरी, 1584- भगवंत दास की बेटी से राजकुमार सलीम (जहांगीर) की शादी (कछवाहा-आंबेर)
    – 1587- जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से जहांगीर का विवाह (राठौर-जोधपुर)
    – 28 मई 1608- राजा जगत सिंह की बेटी से जहांगीर की शादी (कछवाहा-आंबेर)
    -1 फरवरी, 1609- रामचंद्र बुंदेला की बेटी से जहांगीर का विवाह (बुंदेला, ओरछा)
    “दानियाल”
    – 2 अक्टूबर 1595- रायमल की बेटी से अकबर के बेटे दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)
    “परवेज”
    – अप्रैल 1624- राजा गजसिंह की बहन से जहांगीर के बेटे राजकुमार परवेज की शादी (राठौर-जोधपुर)
    “सुलेमान”
    -1654- राजा अमरसिंह की बेटी से दाराशिकोह के बेटे सुलेमान की शादी (राठौर-नागौर)
    “मुअज्जम”
    -17 नवंबर 1661- किशनगढ़ के राजा रूपसिंह राठौर की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. मुअज़्ज़म की शादी (राठौर-किशनगढ़)
    “आजम”
    – 5 जुलाई 1678- राजा जयसिंह के बेटे कीरत सिंह की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. आज़म की शादी (कछवाहा-आंबेर)
    “कामबख़्स”
    – 30 जुलाई 1681- अमरचंद की बेटी औरंगज़ेब के बेटे कामबख्श की शादी (शेखावत-मनोहरपुर)
    इतना इतिहास काफी है वीरता की कहानियों का सच जानने के लिए… मुगल जिंदा थे तब तो कुछ उखाड नहीं पाये ओर आज उनकी बनाई इमारतों पे गुस्सा उतार रहे हो… हिन्दू वीर, हिन्दू शेर, जय राजपुताना आदि संज्ञाओं से इतिहास नहीं बदल जाता।

    • ha ha ha.
      sach mein ghanta research hi ho rahi hai. “Sex” ka bolbala hai.
      vaise itihas ki kai kitabein hain.
      har cheez ke kai pahaloo hote hain. achchhe aur bure.
      hum logo ko “filtered” itihaas padhaya jaata hai.
      Mahajan ki kitab padhoge to pata chalega ki kis tarah rajpoot raaja yuddh kshetr mein bhi apni auraton….yaani ki girl friends ko le jaya karte the, raat bhar “Sex” karte the aur subah thak chuke hote the..uske baad yuddh kya khaak jeetenge?
      bahadur bhi the, aur kayar bhi the. sanyasi bhi the aur aiyaash bhi.
      par kaun bahadur tha, kitna tha, kaun kitna aiyaash tha, ye sab aapko padhaya nahi jayega. sirf jo janta mein popular ho gaya, use mahimamandit karke dikhaya jayega, aur uske oopar phir ladaiyan ladi jayengi.

  2. Rajpooton ka itihaas tum log kya janoge… Tumhe to Rajneeti se aage ka kuch nhii sujhta… Agar rajpoot na hote to aaj bharat iraq ya seria ban chuka hota… Akbar jese sashak se ldne wala ek hi aadmi paida hua… Mahrana pratap…
    Isse aage rajpooton ki veerta ke pramaan dekhne hain to google kar lo.. sab pta chal jyega…😤😤

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