बिहारः नीतीश की योजना को पूरा करने में गई दलित वार्ड सदस्य की जान, राजपूत मुखिया ने पीट कर मार डाला

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी योजना सात निश्चय योजना को ईमानदारी से जमीन पर उतारने की जिद ने एक दलित युवक की जान ले ली. प्रदेश के छपरा में एक गुंडे मुखिया मुन्ना सिंह और उसके समर्थकों ने दिव्यांग दलित वार्ड सदस्य को पीट-पीट कर मार डाला. घटना सारण जिले के डेरनी थाना क्षेत्र के डीह पिरारी पंचायत में 22 सितंबर को घटी.

दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव के दौरान सात निश्चय योजना का जिक्र किया था. इस योजना को नीतीश हर हाल में पूरा करना चाहते थे. इन सात निश्चय में शिक्षा, सड़क, बिजली, शौचालय, पानी, रोजगार, महिलाओं को रोजगार जैसे मुद्दे शामिल किए गए थे. बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने पंचायत के हर वार्ड सदस्य को विकास कार्यों में सहयोगी बनाने का निर्णय लिया था, जिसमें राज्य के एक लाख 14 हजार 733 वार्ड सदस्यों को भागीदार बनाया गया. यही बात मुखिया के पद पर कब्जा जमाए कथित ऊंचे तबके के लोगों को चुभने लगी, क्योंकि कुछ भुगतान में वार्ड सदस्य की सहमति जरूरी थी.

आरोपी मुखिया मुन्ना सिंह

जानकारी के अनुसार 22 सितंबर की रात को वार्ड सदस्य नंद कुमार राम से चेक पर साइन लेने के लिए मुखिया मुन्ना सिंह अपने समर्थकों के साथ उसके घर पहुंच गया. लेकिन योजना में गड़बड़ी के कारण वार्ड सदस्य नंद कुमार राम ने चेक पर साइन करने से मना कर दिया. इंकार सुनने के बाद मुखिया और उनके समर्थकों ने वार्ड सदस्य को बेरहमी से पीटा. गंभीर रूप से घायल वार्ड सदस्य को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया, जहां 26 सितंबर को देर रात उनकी मौत हो गई. डीह पिरारी पंचायत के मुखिया मुन्ना सिंह समेत 10 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है.

मृतक वार्ड सदस्य ने अपने नजदीकियों को बताया था कि सात निश्चय योजना की राशि को मुखिया बंदरबांट करना चाह रहा है. इसलिए जबरन चेक पर हस्ताक्षर कराना चाह रहा था. इसको लेकर वार्ड सदस्य बराबर विरोध करता था. वह राशि गलत तरीके से निकासी होने से रोक रहा था. घरवालों का कहना है कि इसको लेकर मुखिया से महीनों से विवाद चल रहा था. जिसके बाद आखिरकार वार्ड सदस्य नंद कुमार राम को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी. अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जिस महत्वकांक्षी योजना को सच्चाई से जमीन पर लागू करने के कारण एक दलित विक्लांग वार्ड सदस्य को अपनी जान देनी पड़ी, मुख्यमंत्री और स्थानीय प्रशासन उसे न्याय दिला पाते हैं या नहीं.

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