जालौन। आपने इंसानों को जेल से छूटकर निकलते हुए जरूर देखा या सुना होगा. लेकिन आपने गधों को जेल से छूटते हुए नहीं देखा होगा. ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के जालौन में घटी है. गधों का आरोप बस इतना था कि गधों ने जेल के बाहर लगे पेड़ पौधों और जेल स्टाफ की कॉलोनी के बाग को चर लिया था. बाग में चरना आठ गधों को महंगा पड़ गया. जेल स्टाफ ने गधों को कैद कर बच्चा जेल में बंद कर दिया. पुलिस ने इन गधों को 4 दिन बाद रिहा किया.
जानकारी के मुताबिक जेल अधिकारियों ने गधे के मालिक को कई बार मना किया था वो अपने गधे इदर ना छोड़े. जेल पुलिस ने सबक सिखाने के लिए चार दिन के लिए गधों को जेल में बंद कर दिया. गधों की रिहाई भी इतनी आसानी से नहीं हुई, गधे के मालिक ने पहले तो जेलर से गुहार लगाई. इसके बाद स्थानीय बीजेपी नेता शक्ति गहोई से कहलवाने के बाद ही गधों को आजादी मिली.
इस पूरे मामले पर जेलर का कहना है कि पचास-साठ हजार रुपये खर्च करके पौधे लगवाए गए हैं, गधों को ना तो अरेस्ट किया जा सकता है और ना ही एडजस्ट किया जा सकता है. गधों के मालिकों को बुलाकर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.
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