छत्तरपुर। भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दलितों के साथ भोजन करने को लेकर एक बयान दिया है. उन्होंने मध्य प्रदेश के नौगांव के ददरी गांव में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं दलितों के घर में भोजन करने नहीं जाती. क्योंकि मैं अपने आप को भगवान राम नहीं मानती कि शबरी के घर जाकर भोजन किया तो दलित पवित्र हो जाएंगे. दलित जब मेरे घर में आकर भोजन करेंगे और मैं उन्हें अपने हाथों से खाना परोसूंगी तब मेरा घर धन्य हो जाएगा, मेरे बर्तन धन्य हो जाएंगे, मेरा पूजाघर धन्य हो जाएगा.
कार्यक्रम के दौरान सामूहिक भोज का भी कार्यक्रम था लेकिन उमा भारती ने खाने से यह कहते हुए मना कर दिया कि ‘मैं आज आपके साथ बैठकर भोजन नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि मैंने भोजन कर लिया है.’ हालांकि इस बयान पर राजनीतिक विविद होने के बाद उमा भारती के कार्यालय की ओर एक बयान जारी कर सफाई दी गई है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उन्हें नौगांव में समरसता भोज की जानकारी पहले से नहीं थी. बयान के मुताबिक, उन्हें छतरपुर से तकरीबन डेढ़ सौ किलोमीटर दूर पपोड़ा (टीकमगढ़ जिला) जाना था. इसके कारण वह वहां मौजूद लोगों से क्षमा-याचना कर पपोड़ा के लिए रवाना हो गईं. बयान में कहा गया, ‘वो जमाना चला गया जब दलितों के घर में बैठकर भोजन करना सामाजिक समरसता का सूत्र था. अब तो राजनीति में जो दलितों के साथ भेदभाव होता है, उसमें समरसता लानी पड़ेगी. आर्थिक उत्थान, सामाजिक सम्मान और शासन-प्रशासन में बराबरी की भागीदारी ही सामाजिक समरसता का मूलमंत्र है.’ उमा भारती का यह रवैया ऐसे समय सामने आया है, जब पिछले महीने दलितों के प्रदर्शन के बाद भाजपा आलाकमान के निर्देश के बाद पार्टी नेता और मंत्री दलित प्रेम दिखा रहे हैं.
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