विश्वविद्यालय में आरक्षण पर भिड़े मोदीजी के मंत्री

नई दिल्ली। सरकार के दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं. मामले को लेकर प्रकाश जावड़ेकर और थावरचंद गहलोत आपस में भिड़ गए हैं. असल में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 5 मार्च को भर्ती के लिए नया रोस्टर लागू करने का आदेश जारी किया था. इसे लेकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने आपत्ति जताई है.

गहलोत ने नए रोस्टर का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में गहलोत ने इस आदेश को वापस लेने के लिए पीएम मोदी से गुहार लगाई है. इसमें तर्क दिया गया है कि नए रोस्टर से पिछड़ा, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को भर्तियों में लाभ नहीं मिल पाएगा. मंत्रालय के अनुसार देश के अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.

दरअसल सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती के लिए साल 2007 से रोस्टर लागू था. इसमें विश्वविद्यालय या कॉलेज को एक यूनिट माना जाता था. और भर्ती निकलने की स्थिति में यह भर्ती पूरी यूनिट के लिए होती थी. यानी यदि किसी यूनिवर्सिटी में 50 पदों पर भर्ती निकली है तो आरक्षण के नियम के मुताबिक उसमें चौथा पद पिछड़े वर्ग के लिए, 7वां अनुसूचित जाति के लिए और 14वां अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होता था.

मगर एचआरडी मंत्रालय के नए आदेश के मुताबिक, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को एक यूनिट नहीं माना जाएगा. इसकी जगह उस ‘विषय विभाग’ को यूनिट माना जाएगा जिसमें भर्तियां होनी हैं. सोशल जस्टिस मंत्रालय का मानना है कि एक विभाग में भर्तियां कम निकलती हैं. मसलन कहीं 3 तो कहीं 4 तो कहीं 6 पद होते हैं. ऐसे में अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों का नंबर कट ही जाएगा. सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत इसी का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर यह आदेश लागू हो गया तो फिर दलितों और पिछड़ों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा. फिलहाल मामला प्रधानमंत्री के पास है और देखना है कि वह इस बारे में क्या फैसला लेते हैं.

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