नई दिल्ली। भाजपा के खिलाफ संघर्ष का ऐलान कर चुकीं बहनजी 18 सितंबर से सड़कपर उतरने जा रही हैं. तय कार्यक्रम के मुताबिक बहनजी जी हर दो मंडल को मिलाकर एक बैठक लेंगी. खबर यह है कि हर बैठक में कम से कम ढाई लाख कार्यकर्ता शामिल होंगे. इस बैठक को सफल बनाने में लगी बसपा की टीम ने यह तय किया है कि कार्यकर्ता सम्मेलन में हर विधानसभा से पांच हजार लोग पहुंचें. बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने 4 अगस्त को दिल्ली में फिर एक बैठक बुलाई है, जिसमें रणनीति पर चर्चा होगी.
पार्टी की अध्यक्ष की ओर से छेड़ी गई इस मुहिम को लेकर पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेता कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. 18 सितंबर को मेरठ में होने वाले पहले सम्मेलन के लिए ज्यादा दबाव है. पार्टी के नेता इसे रिकार्ड सम्मेलन के रूप में दर्ज कराना चाहते हैं. यहां पर सहारनपुर और मेरठ मंडल के नौ जिलों की रैली होगी. सभी जिलों के 44 सीटों से कार्यकर्ता पहुचेंगे. सम्मेलन को सफल बनाने का जिम्मा 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी रहे नेताओं को दिया गया है. यही रैली लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2024 के लिए प्रत्याशी चयन का भी आधार होगा.
बसपा की एक बड़ी कोशिश दलित और पिछड़े वोटों को एकजुट बनाए रखने की भी है. इस रैली के जरिए बसपा यह भी साबित कर देना चाहती है कि दलित वोट पार्टी के साथ मजबूती से खड़ा है. आंकड़ों को देखें तो हर जिले में तीन से लेकर सात तक विधानसभा क्षेत्र हैं. सभी दो-दो मंडलो में कम से कम चालीस के आसपास विधानसभा क्षेत्र हैं. इसलिए बीएसपी की तरफ से जिलों में संदेश दे दिया गया है कि रैली में कम से कम ढाई लाख कार्यकर्ता पहुंचने चाहिए.
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