दो साल से बहिष्कार का दंश झेल रहे तीन आदिवासी परिवार

Social boycott

महासमुंद। ग्राम पड़कीपाली के तीन आदिवासी परिवार विगत 2 साल से बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं. गांव में उनसे न कोई बात करता है और न ही दुकान से उन्हें सामान मिलता है. यहां तक कि नाई-धोबी के लिए भी दूसरे गांव पर निर्भर होना पड़ रहा है. इससे परेशान पीड़ित परिवारों ने मानवाधिकार आयोग, थाना समेत जिले के आला अधिकारियों से लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है.

क्या है मामला
पीड़ित शौकीलाल, लखेराम तथा सुकलाल ने शिकायत में बताया कि उसके चाचा भीमसेन से उसका भूमि संबंधित मामला जिला न्यायालय में लंबित है. उसका चाचा केस हार गया था तो उसने ग्राम पड़कीपाली के मुखिया त्रिलोचन, मणिधर व रोहित से मिलीभगत व सांठगांठ करते हुए उनके परिवार को ग्राम से बहिष्कार कर दिया.

नाई-धोबी की भी मनाही
शिकायत में पीड़ितों ने बताया कि मुखिया द्वारा किए गए ऐलान के अनुसार आदिवासी परिवार से कोई भी बातचीत नहीं करता और कोई भी रोजी मजदूरी के लिए नहीं बुलाता. उनके घर पर गांव के किसी का भी आना-जाना नहीं है. दुकान वाले उन्हें घरेलू आवश्यकता के सामान नहीं देते हैं.

यहां तक कि नाई-धोबी की भी मनाही कर दी गई है. मुखिया ने यह भी ऐलान किया है कि यदि आदिवासी परिवार से कोई संबंध रखेगा तो उसे पांच हजार रूपए का अर्थदंड दिया जाएगा. यदि कोई व्यक्ति उन परिवार से बातचीत करते हुए किसी को देख लेता और उसकी सूचना देता है तो उसे एक हजार रूपए इनाम देने की भी घोषणा की गई है.

पीड़ित आदिवासियों ने बताया कि मुखिया द्वारा किए गए उक्त ऐलान के बाद उनका गांव में जीना मुश्किल हो गया है. गांव समाज में होते हुए भी एकाकी जीवन जीने के लिए मजबूर हो गए हैं.

नाई की व्यवस्था के लिए उन्हें 3 किलोमीटर दूर के गांव डोंगरीपाली और धोबी की व्यवस्था के लिए गांव रिखादादर व घरेलू आवश्यक सामानों के लिए उन्हें दूर के गांवों में जाना पड़ रहा है. पीड़ित आदिवासियों ने शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.

सांकरा के थाना प्रभारी कोमल नेताम ने कहा कि शिकायत पर मामले की विवेचना की जा रही है. दो भाइयों के बीच जमीन विवाद चल रहा है. गांव में किसी तरह के बहिष्कार की पुष्टि नहीं हुई.

नई दुनिया से साभार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.