इस हिन्दू राष्ट्र में दलितों की यही नियति है!

भगवा झंडों वाला जो हिन्दू राष्ट्र आरएसएस बीजेपी निर्मित करने की फ़िराक में हैं, उसमें दलितों की क्या भूमिका होगी, कोई भूमिका होगी भी या नहीं अथवा उनके लिए कोई जगह भी नहीं होगी, उनको छिप छिप कर जीना पड़ेगा, इसके संकेत मिलने लगे है.

यह उन दलित युवाओं के लिए एक सबक भी है, जो बहुत उछल उछल कर हिन्दू संगठनों में हिस्सेदारी करते है, संघ की शाखाओं में जाते हैं, बजरंग दल के नारे लगाते है, भगवा पट्टा बांध कर अकड़ अकड़ कर घूमते है, विश्व हिंदू परिषद व अन्य हिंदूवादी संगठनों के मोहरे बनकर दंगे फसाद फैलाते है. इनकी औकात इस बहुचर्चित व बहुप्रतीक्षित हिन्दुराष्ट्र में क्या होगी, इसकी झलक भी अब मिलने लगी है.

भाजपा शासित राजस्थान में दक्षिणपंथी समूहों की प्रयोगशाला है भीलवाड़ा, इसके रायला थाना क्षेत्र के भैरु खेड़ा (सुरास) गांव में 14 लोगों का एक ‘हिदू युवा संगठन’ बनाया गया, जिसमें दो दलित युवा भी शामिल किए गए, इन दोनों दलित युवाओं से सदस्यता व गांव में लगाने के लिए बैनर बनवाने हेतु पैसा लिया गया, पर जैसे ही बैनर बन कर आया, गांव के गैरदलित हिंदुओं ने आपत्ति जता दी कि – ये ब्लाईट हिन्दू संगठन में क्या कर रहे हैं, अब इनके फ़ोटो लगेंगे गांव में? हमको इनके चेहरे देखने पड़ेंगे रोज?

अन्ततः जब गांव की शुद्र (ओबीसी) जातियों का विरोध बहुत मुखर हो गया तो रास्ता निकाला गया कि दोनों दलित युवाओं के फोटोओं पर टेप चिपका कर उन्हें छिपा दिया जाए, ताकि गांव के कथित ऊंची जाति के लोगों को इनकी शक्ल नहीं देखनी पड़े. हिन्दू युवा संगठन ने दलित युवाओं के फोटो हाईड करके जैसे ही पोस्टर चिपकाया, खबर दलित मोहल्ले तक भी पहुंची. दलित युवाओं के हिलोरें मारता नया नया हिन्दू जोश ठंडा पड़ गया, उसकी जगह आक्रोश ने ले ली.

8 नवम्बर 2018 की सुबह दलित युवा रामस्वरूप बलाई तथा गोरधन बलाई ने गांव में पहुंचकर इस बात पर आपत्ति जताई कि जब उन्हें हिदू युवा संगठन से जोड़ा गया और बैनर बनवाने के लिए पैसा लिया गया तो अब बैनर से उन्हें क्यों हाईड किया गया? केवल दलित युवाओं के चेहरों पर टेप क्यों चिपकाया गया, यह तो हमारा अपमान है.

दलित युवाओं की आपत्ति हिंदुत्व के नए रक्षक शूद्रों को अत्यंत नागवार गुजरी, उन्होंने दोनों दलित युवाओं को पहले तो जमकर जातिगत गालियां दी, उनको उनकी असली औकात बताई और बाद में हरफूल लौहार, नारायण गुर्जर, मुकेश लौहार व महावीर गुर्जर ने मिलकर इन दलित युवाओं के साथ मारपीट की, नारायण गुर्जर ने तो पथराव तक किया, जान से मारने की धमकी तक दे डाली.

जब इस मारपीट की खबर गांव के दलित मोहल्ले तक पहुंची तो नगजीराम बलाई नामक एक दलित युवा ने हिम्मत करके उपरोक्त बैनर को नीचे उतार दिया, एक दलित की ऐसी हिमाकत हिदू वीर कैसे सहन करते, पूरा गांव दलितों के खिलाफ एक जुट हो गया, दलितों के साथ गाली गलौज व धक्कामुक्की की गई तथा गांव छुड़वा देने की धमकी तक दे दी गयी.

पीड़ित दलित परिवारों ने बताया कि गांव में पूरी तरह हिदू आतंक व्याप्त है, यही स्थिति रही तो हमें गांव छोड़ना पड़ेगा.

इस घटनाक्रम परेशान दलितों ने रायला थाने में रिपोर्ट लिखवाई, लेकिन वहां से कार्यवाही के बजाय समझाईश की नसीहत देकर मामला रफा दफा करने की कोशिश की जा रही है, घटनाक्रम के तीन दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया है.

हिदू राष्ट्र के इस पोस्टर कांड के बाद से भैरु खेड़ा( सुरास) के दलित भय, दशहत व आतंक के साये तले जीने को विवश है, वहीं हिन्दू युवा संगठन का भगवा ध्वज शान से लहर लहर लहरा रहा है और दूसरे कोने पर मौजूद बजरंग बली अत्यंत गुस्से में दिख रहे है, यह बजरंगी आक्रोश दलितों को कितना नुकसानदायक होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता है.

भैरु खेड़ा (सुरास) जैसे लाखों गांव इस देश मे हैं, जहाँ पर दलित, आदिवासी व घुमन्तू समुदायों के करोड़ों युवाओं को जबरन हिन्दुराष्ट्र की भट्टी में झोंका जा रहा है, उनका जातिगत उत्पीड़न भी जारी है और धर्म की अफीम भी पिलाई जा रही है, शायद यही हिन्दू राष्ट्र में दलितों की नियति है. इस हिन्दू राष्ट्र में दलित, आदिवासी व घुमन्तुओं के लिए कोई जगह नहीं हैं.

भंवर मेघवंशी

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