नई दिल्ली। हाल ही में भाजपा की प्रवक्ता डॉ. दीप्ती भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को ट्विट किया था. इस ट्विट में उन्होंने लिखा था, आदरणीय भाई @AmitShah जी उत्तर प्रदेश को बचा लिजिए, सरकार के निर्णय शर्मसार कर रहे हैं. ये कलंक नहीं धुलेंगे. आदरणीय भाई @narendramodi जी और आपके साथ हम सबके सपने चूर-चूर होंगे.”
असल में भाजपा की यह प्रवक्ता सेंगर के मामले में चैनल में डिबेट पर बैठी थी, तभी रेप के एक अन्य आरोपी स्वामी चिन्मयानंद पर से सरकार द्वारा मामला वापस लेने की खबर आ गई और इससे भौंचक प्रीती के पास कहने को कुछ नहीं था. भाजपा के कई अन्य नेताओं का भी यही हाल है. वो मुंह चुराते फिर रहे हैं. आलम यह है कि चौक-चौराहों तक पर सेंगर के मामले में भाजपा और योगी की फजीहत होने लगी है.
लेकिन भाजपा का एक धड़ा कुलदीप सेंगर के पक्ष में मजबूती से खड़ा है. सेंगर के मामले में पार्टी के ठाकुर विधायकों की जिस तरह की गोलबंदी देखी जा रही है और उसका असर सरकार के फ़ैसलों पर देखा जा रहा है, उसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी योगी पर जातिवादी होने की चर्चा तेज हो गई है. यूं तो योगी आदित्यनाथ सरकार पर शुरू से ही ये आरोप लग रहे थे कि संन्यासी होने और भेद-भाव न करने के अपने वादे के विपरीत वो राजपूतों के प्रति कुछ ज़्यादा ही ‘मेहरबान’ हैं, उन्नाव की घटना ने इन आरोपों को मज़बूती दे दी है. इसकी चर्चा न सिर्फ भाजपा के बाहर है, बल्कि भाजपा के अन्य समाज के नेता भी इससे दुखी हैं. बात इतनी फैल गई है कि पार्टी के भीतर खुलकर कहा जाने लगा है कि उत्तर प्रदेश में सरकार टी सिरीज़ चला रही है.” ‘टी’ यानि ‘ठाकुर.’
बीबीसी अपनी एक रिपोर्ट में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से लिखता है कि मोदी और अमित शाह की पहली पसंद योगी नहीं थे, बल्कि योगी आदित्यनाथ ने अमित शाह और मोदी से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली थी. योगी ने आलाकमान से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनने की हिम्मत प्रदेश के ठाकुर विधायकों की बदौलत की. ऐसे में जाहिर है कि अब अगर वह ठाकुर विधायकों के साथ नहीं खड़े होंगे तो ख़ुद ही कमज़ोर हो जाएंगे.
‘बीजेपी ने योगी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपकर अपने परंपरागत मतदाता वर्ग यानी ब्राह्मणों को पहले ही नाराज़ कर दिया था, अब योगी का ठाकुर प्रेम इस नाराज़गी को और बढ़ा रहा है. प्रदेश में भाजपा के दलित नेता योगी से पहले ही नाराज हैं. ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ गई है कि ब्राह्मण और दलित नेताओं की नाराजगी से बचने के लिए भाजपा नेतृत्व योगी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा सकता है. लेकिन इससे पहले मोदी और अमित शाह को प्रदेश के ठाकुर नेताओं को साधना होगा.
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