साहित्यकार सूरजपाल चौहान ने ‘दलित लेखक संघ’ एवं ‘अम्बेडकरी लेखक संघ’ पर लगाए गंभीर आरोप

2356
वरिष्ठ साहित्यकार सूरजपाल चौहान

व्हाट्सएप पर दलित लेखक संघ एवं अम्बेडकरी लेखक संघ के बारे में जानकर और पढ़कर बेचैनी महसूस हुई. इस आपस की उठा-पटक में दलित लेखन और लेखकों को भारी नुकसान उठाना पर सकता है. साल भर पहले लगभग 20 वर्षों के बाद मैं दलित लेखक संघ से कुछ शर्तों के साथ जुड़ा था.

मेरी पहली शर्त थी कि ‘दलेस’ की गतिविधियों में गैर-दलित लेखकों का हस्तक्षेप कतई नहीं होगा. मेरी दूसरी शर्त यह थी कि जो हमारे पुराने लेखक साथी दूर बिखर कर रह गए हैं, उन्हें साथ रखकर कार्य करना होगा. और तीसरी शर्त यह कि गैर-दलित लेखकों को ‘दलेस’ जब अपने कार्यक्रम में आमंत्रित करेगा, वे तभी उसमें भाग ले सकते हैं. इन शर्तों के पीछे मेरा मानना था कि ऐसा नहीं कि हमारी हरेक बैठक में ये हस्तक्षेप करते रहेंगे और हम चुपचाप उन्हें और उनके कार्यों को सहन करते रहेंगे.

उस समय मेरी इन तीनों शर्तों को ‘दलेस’ के अधिकारियों ने मानने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी थी. लेकिन कुछ दलित लेखकों को जिन्हें गैर-दलितों का हुक्का भरने और ठकुरसुहाती करने की आदत है, वो मेरी बातों से सहमत नहीं हो सके और तरह-तरह के कुतर्क देकर अपनी ही चलाते रहें.

दलेस के महासचिव श्री कर्मशील भारती से जब मैंने इस विषय को लेकर चर्चा की तो वह अपनी असमर्थता प्रकट करते हुए बोले- “चौहान साहब, क्या करें, इन गैर-दलितों को ढोना मजबूरी है.” मैं यह सुनकर भौचक्क होकर रह गया, भला यह कैसी मजबूरी है?

इसी प्रकार मैंने श्री सुदेश तनवर और सूरज बड़त्या से बात की थी कि अब आप दोनों ‘दलेस’ को संभाल लो. उस समय इन दोनों ने मुझे विश्वास दिलाया था कि चलो ठीक है, आपके साथ-साथ हम दोनों भी ‘दलेस’ से जुड़ जाते हैं. लेकिन कुछ ही दिनों के बाद इन दोनों ने नेतागिरि करने के चक्कर में एक नया संघ ‘अम्बेडकरवादी लेखक संघ’ बना डाला और उसमें पदाधिकारी बन बैठे.

यदि सुदेश तनवर चाहते तो ‘दलेस’ में नई जान डाल सकते थे, क्योंकि वह दलेस के पूर्व महासचिव रह चुके हैं और लिखते-पढ़ते भी हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अब दोनों संघों में आपस में लट्ठम-लट्ठ मची हुई है. अब भी समय है कि दलित लेखक एक हो जाएं, वरना गैर-दलित तो अपने-अपने मंसूबों में सफल हो ही रहे हैं.

 लेखक वरिष्ठ दलित साहित्यकार हैं और उनका दलित साहित्य में विशेष दखल है. 

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.