नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर बड़ा फैसला दिया है. शीर्ष न्यायालय के मुताबिक अब अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति एक्ट के तहत सरकारी कर्मचारियों की तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को नए दिशा-निर्देश जारी किए. इसमें कोर्ट ने साफ किया है कि इस एक्ट के तहत दर्ज शिकायत पर सरकारी कर्मचारी/अफसर को फौरन अरेस्ट नहीं किया जा सकेगा. अदालत ने मामले की जांच पहले डिप्टी सुपरिटेंडेंट रैंक के किसी अफसर से करवाने का आदेश दिया है.
कोर्ट के नए आदेश के मुताबिक अब ऐसी कोई भी शिकायत होने पर सबसे पहले आरोपों की जांच की जाएगी. इस मामले में अब गिरफ्तारी से पहले आरोपी को अग्रिम जमानत भी दी जा सकती है. ऐसे मामलों में पहले अग्रिम जमानत की कोई व्यवस्था नहीं थी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने की. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- “इस एक्ट के तहत सरकारी अफसर के खिलाफ किसी भी शिकायत की जांच की जानी जरूरी है. इसे डिप्टी सुपरिंटेंडेंट के नीचे के रैंक का अफसर नहीं करेगा. और फिर अधिकृत अफसर की मंजूरी के बाद ही सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी की जा सकती है.” सुप्रीम कोर्ट ने माना इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।