पुणे। अब ग्राम पंचायत को संभल जाने की जरुरत है. अक्सर देखा जाता है की पंचायतों द्वारा लोगों का समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से महाराष्ट्र प्रॉहिबिशन ऑफ पीपल फ्रॉम सोशल बॉयकॉट एक्ट, 2016 को मंजूरी देने के बाद किसी भी व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार अपराध के दायरे में आयेगा. इस प्रकार का कानून बनाए जाने को लेकर समाज सुधारक नरेंद्र दाभोलकर ने आंदोलन चलाया था. गोली मारकर उनकी हत्या किए जाने के बाद यह आंदोलन और तेज हो गया था, जिसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा ने 2016 में इस एक्ट को सर्वसम्मति से पारित किया था.
इसके बाद से ही इस एक्ट को लागू किए जाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार था. राष्ट्रपति ने इस एक्ट को 20 जून को मंजूरी दे दी. इस नए कानून के तहत जातिगत और सामुदायिक पंचायतों की ओर से किसी व्यक्ति के सामाजिक बहिष्कार पर रोक है. ऐसा करने वाले लोगों के दोषी पाए जाने पर 3 साल की कैद, 1 लाख रुपये के जुर्माने या फिर दोनों का प्रावधान है.
नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर ने सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति इस कानून को प्रभावी ढंग से लागू कराने के लिए रणनीति तैयार करेगी. हमारे संगठन ने इसके लिए लंबा संघर्ष किया है.
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