पटना। बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल पर जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने पांच दिन औपचारिक रूप से असंतोष जताया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झट से उसपर अपनी प्रतिक्रिया दे दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ शब्दों में कहा, जिनके मन में भी जो सवाल हैं वे पार्टी फोरम में उठाएं.
बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद जदयू की पहली कार्यकारिणी की बैठक 19 अगस्त को पटना में होगी. सीएम नीतीश ने कहा कि वे कोई भी फैसला लेने से पहले ये जरूर सोचते हैं कि पार्टी हित में क्या है. उन्होंने ये भी कहा कि लालू यादव के साथ गठबंधन तोड़ने और बीजेपी के साथ सरकार बनाने से पहले सारी बातें शरद यादव को बता दिया गया था. पिछले साल 70 वर्षीय शरद यादव को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर नीतीश कुमार को दे दी गई थी.
शरद यादव की नाराजगी पर नीतीश कुमार ने कहा कि उम्मीद है कि चीजें अपने आप दुरुस्त हो जाएंगी. जदयू की बिहार इकाई महत्वपूर्ण है और यह निर्णय मेरी उपस्थिति में लिया गया. यदि किसी को तकलीफ है तो पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपनी बात रख सकता है. माना जाता है कि नीतीश कुमार ने इशारों-इशारों में पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव को यह जताने की कोशिश की है शरद यादव की सोच और फैसले से उन्हें बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.
शरद के साथ विपक्षी नेता सीपीआई के राज्यसभा सांसद डी राजा भी कह चुके हैं कि बिहार में जिस तरह से नई सरकार का गठन हुआ उससे शरद यादव नाखुश हैं. इसके अलावा लालू प्रसाद यादव भी बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए शरद यादव को नेतृत्व के लिए आमंत्रित कर चुके हैं.
गौरतलब है कि शरद यादव ने सोमवार को संसद भवन परिसर में मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में महागठबंधन टूटने से मुझे काफी तकलीफ हुई है. महागठबंधन बनाने के लिए नीतीश, लालू और मैंने काफी मेहनत की थी. जनता का विश्वास किसी भी सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है.
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