गोरखपुर। गोरखपुर में चर्चा है कि सीएम योगी अपने ही गढ़ में डरे हुए हैं. योगी का यह डर उनके भाषणों में साफ दिख रहा है, जिसमें वह खास तौर पर शहर के वोटरों से मतदान प्रतिशत बढ़ाने की अपील कर रहे हैं. योगी कह रहे हैं कि शहर के मतदाता कम से कम साठ फ़ीसदी मतदान सुनिश्चित करें.
जाहिर है कि इस इलाके की राजनीतिक नब्ज को सबसे बेहतर ढंग से पहचानने वाले योगी आदित्यनाथ सपा-बसपा और निषाद पार्टी के काट को ढूंढ़ रहे हैं. इनको मिले पीस पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल जैसी पार्टियों के साथ के चलते गोरखपुर में एक-एक वोट की लड़ाई छिड़ गई है. योगी को इस बात का डर है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में यह गठबंधन कुछ गुल खिला सकता है. इसी की काट के लिए योगी शहरी मतदाताओं से वोट प्रतिशत बढ़ाने की अपील करते फिर रहे हैं.
सपा-बसपा गठबंधन को काटने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल रखी है तो केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला के अलावा प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों, सभी क्षेत्रीय विधायकों और सांसद एक के बाद एक दौरे कर रहे हैं. बसपा-सपा के वोटों को अपने पाले में खिंचने की कोशिश में भाजपा ने इस इलाके में 20 फरवरी से ही एक दर्जन से ज्यादा दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को खासतौर पर उतार दिया है. इसमें अनिल राजभर, अनुपमा जायसवाल, दारा सिंह चौहान और जय प्रकाश निषाद जैसे नेता शामिल हैं. इन सबको ऐसे इलाकों में लगातार भेजा गया जहां उनके सजातीय वोटरों की तादाद ज्यादा थी. यहां तक कि सिद्धार्थ नाथ सिंह का भी एक कार्यक्रम चित्रगुप्त मंदिर में कायस्थ समुदाय के बीच करवाया गया है.
जहां तक योगी आदित्यनाथ की बात है तो उन्होंने खुद पिछले एक पखवाड़े में गोरखपुर में चार दौरे किए हैं. योगी ने खुद अपने चुनाव के लिए भी इतने दौरे नहीं किए थे. योगी की छटपटाहट साफ बता रही है कि गोरखपुर को फिर से फतह करना उनके लिए बहुत आसान काम नहीं है.
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