दो साल पहले 17 जनवरी को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमुला ने हॉस्टल के अपने कमरे में ख़ुदकुशी कर ली थी. उसके बाद रोहित वेमुला को लेकर देश भर के छात्र सड़कों पर उतर आये थे और संसद में बहस भी हुई लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी रोहित वेमुला को न्याय नहीं मिला है.
रोहित की शहादत के 2 साल बाद एक बार फिर से उनको इंसाफ दिलाने की मुहिम तेज़ हो गई है। रोहित की दूसरी पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया रोहित वेमुला की इंसाफ की मांग को लेकर एक बार फिर उबल पड़ा.
असल में रोहित की आत्महत्या हमारे आधुनिक संस्थानों पर सवाल उठाता है और यह दिखाता है कि उच्च शिक्षण संस्थान दलितों के प्रति आंतरिक रूप से असंवेदनशील है.
रोहित की आत्महत्या जिसे सांस्थानिक हत्या कहा गया वह आज भी कई सवाल खड़े करता है.
रोहित खगोल विज्ञानी और वैज्ञानिक कार्ल सैगन जैसे लेखक बनना चाहता था, लेकिन जातिवाद के जहर ने उसके सपनो को पूरा करने से पहले ही उसकी जान ले ली.
उनकी मृत्यु के दो साल बाद भी रोहित का परिवार इन्साफ की गुहार लगा रहा है.
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