प्रधानमंत्री जी बलात्कार राक्षसों की नहीं आपके देवताओं की प्रवृति रही है!

प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा कि बलात्कार राक्षसी प्रवृति है, जबकि डॉ.आंबेडकर ने अपनी किताब हिंदू धर्म की पहेलियों में हिंदू धर्मशास्त्रों और पुराणों के हवाले से बताया है कि ब्रह्मा, विष्णु और तीनों ने मिलकर सती अनसूया के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. उन्होंने यह भी लिखा है कि ब्रह्मा ने अपनी बेटी के साथ ही बलात्कार किया. अहिल्या और अन्य महिलाओं के साथ बलात्कार करने वाला इंंद्र आपका सबसे बड़ा देवता है. प्रधानमंत्री जो मनु आपके के आदर्श हैं, वे शूद्र समाज की महिलओं के साथ बलात्कार के पक्ष में खड़े हैं.

प्रधानमंत्री जी आपको यह भी पता होगा कि आपके महानायक वीरसावरकर मुस्लिम महिलओं का साथ बलात्कार को वीरतापूर्ण कार्य मानते हैं. इसके उलट प्रधानमंत्री जी जिन अनार्य राजाओं को आप राक्षस कहते हैं, उनमें से कोई भी बलात्कारी नहीं था. रावण सीता के अपने पास रखे रहे, लेकिन उन्होंने उन्हें स्पर्श तक नहीं किया. प्रधानमंत्री जी हिंदू संस्कृति का गुणगान करते आप नहीं थकते उसके देवत बलात्कार की संस्कृति के वाहक रहे हैं, राक्षस नहीं.

डॉ.आंबेडकर ने अपनी किताब हिंदू धर्म की पहेलियां ( बाबा साहब डॉ. आंबेडकर संपूर्ण वाग्मय खंड-8 ) के भाग-एक की पन्द्रहवीं पहेली के परिशिष्ट-3 में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बलात्कारी चरित्र की ओर चर्चा की है. आंबेडकर ने लिखा, “ तीनो देव ( ब्राह्मा, विष्णु और शिव ) सती ( अनसूया ) का शील-हरण करने अत्रि (ऋषि ) की कुटिया की ओर चल पड़े. इन तीनों ने ब्राह्मण भिक्षुओं का वेष धारण किया. जब वे वहां पहुंचे, अत्रि बाहर गए हुए थे. अनसूया ने उनका स्वागत किया और उनके लिए भोजन तैयार किया.” इन तीनों ने उनसे निर्वस्त होने को कहा. आंबेडकर विस्तार से पूरी कथा सुनाते हैं. अंत में आंबेडकर की टिप्पणी इस प्रकार है, “इस कहानी में अनैतिकता की दुर्गंध भरी पड़ी है और उसके अंत को जान-बूझकर ऐसा मोड़ दिया गया है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु,महेश के उस वास्तविक कुकर्म पर पर्दा डाल दिया जाय.” ( पृष्ठृ173-174 ). आंबेडकर ब्राह्मा द्वारा अपनी बेटी वाची के साथ बलात्कार की मानसिकता की भी चर्चा करते हैं.’’(पृ.177)

मनुस्मृति भी ब्राह्मणों को गैर-ब्राह्मण स्त्रियों के साथ बलात्कार के लिए प्रोत्साहित करती हुई लगती है.

मनुस्मृति में जहां एक ओर शूद्र वर्ण के किसी व्यक्ति द्वारा ब्राह्मण की स्त्री के साथ व्यभिचार करने पर शूद्र को प्राण दंड का आदेश देती है-

अब्राह्मण: संग्रहणे प्राणान्तं दण्डमर्हति.
चतुर्णामपि वर्णानां दारा रक्ष्यतमा: सदा..
(8.359 )

वहीं यदि ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र वर्ग की किसी स्त्री के साथ व्यभिचार करता है तो उसे केवल पांच सौ पर्ण का आर्थिक दंड देना होगा-

अगुप्ते क्षत्रियावैश्ये शूद्रा वा ब्राह्मणो व्रजन् .
शतानि पच्च दण्ड्य: स्यात्सहस्रं
त्वन्त्ज्यस्त्रियम्..(8.385 )

को भी व्यक्ति इस बात की कल्पना कर सकता है जिस धर्म-संस्कृति के आदर्श नायक किसी भी महिला के साथ बलात्कार को जायज ठहराते हों, या खुद ही बलात्कारी हों और जिनके धर्मग्रंथ किसी खास जाति की महिला के साथ बलात्कार को बहुत छोटा अपराध मानते हो, वह देश कैसै होगा, इस देश के लोग कैसे होंगे, उस कौम की मानसिकता कैसी होगी?

बलात्कार को वीरतापूर्ण और शौर्यपूर्ण कार्य कार्य मानते थे, संघ-भाजपा के आदर्शनायक विनायक दामोदर सावरकर. उन्होंने अपनी किताब सिक्स ग्लोरियस इकोज ऑफ इंडियन हिस्ट्री में इस बात के पक्ष में तर्क दिया है कि, क्यों मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार जायज है. वे इतने पर ही नहीं रूकते हिंदुओं को ललकारते हुए कहते हैं कि “ यदि अवसर उपलब्ध हो तो ऐसा न करना कोई नैतिक या वीरतापूर्ण काम नहीं है,बल्कि कायरता है”.(See Chapter VIII of the online edition made available by Mumbai-based Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak). उनकी यह किताब 1966 में मराठी में प्रकाशति हुई थी. उसका अंग्रेजी में अनुवाद उपलब्ध है. हम सभी जानते हैं कि सावरकर संघ-भाजपा के सबसे बड़े आदर्श नायकों में एक हैं. अपनी इस किताब में उन्होंने विस्तार इस बात का विवरण दिया है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने हिंदू महिलाओं का अपहरण किया था, उन्हें मुसलमान बनाया था और उनके साथ बलात्कार किया था, इसलिए हिंदुओं को भी ऐसा ही करना चाहिए.

अपनी इस किताब में सावरकर साफ-साफ सीख दे रहे हैं कि अवसर मिलने पर हिंदुओं को मुस्लिम महिलाओं के साथ जरूर बलात्कार करना चाहिए. यह उनका नैतिक धर्म है और एक वीरतापूर्ण कार्य है.इस तथाकथित नैतिकता और वीरता का परिचय हिंदूवादी ‘वीरों’ ने अनेक दंगों में दिया है. गुजरात और मुजफ्फर नगर के दंगे इसके सबसे घृणित उदाहरण हैं. कठुआ की मासूम लड़की के साथ बलात्कार का हिंदुवादियों द्वारा समर्थन सावरकर के बताये रास्ते पर चलने का सिर्फ एक कदम है.

1-Savarkar’s Sanction to Use Rape as Political Weapon ( News clik )

2- Reading Savarkar: How a Hindutva icon justified the idea of rape as a political tool (scroll.in )

रामू सिद्धार्थ

Read it also-भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में डॉ. आंबेडकर की क्या राय

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