नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ प्रस्तावित गठबंधन में एक नया ट्विस्ट आ गया है. पहले जहां गठबंधन में सिर्फ सपा और बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की खबर आ रही थी तो वहीं अब नई खबर यह है अब यूपी में गठबंधन नहीं बल्कि महागठबंधन बनाने की तैयारी है. इस क्रम में छोटे दलों को भी दो-तीन सीट दी जा सकती है. चौंकाने वाली खबर यह है कि इस महागठबंधन में आम आदमी पार्टी को भी शामिल करने की चर्चा चल रही है. आप को एनसीआर में एक सीट देने की बात सामने आ रही है.
इसके अलावा कृष्णा पटेल के अपना दल व वामपंथी दलों को भी एकाध सीट मिल सकती है. रालोद के लिए जो सीट छोड़ी जाएगी वह पश्चिमी यूपी के जाट बहुल इलाकों की होगी. इनमें बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना व मथुरा जैसी सीट शामिल है. रालोद के लिए जो सीट छोड़ी जाएगी वह पश्चिमी यूपी के जाट बहुल इलाकों की होगी. इनमें बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना व मथुरा जैसी सीट शामिल है. खबर यह भी है कि छोटे दलों के एक-दो नेता बड़ी पार्टियों के सिंबल पर चुनाव लड़ें. सपा और बसपा उपचुनावों में इस तरह का सफल प्रयोग कर चुकी हैं.
गोरखपुर में सपा ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाया था. जिन दलों के नेताओं को दूसरे दल के सिंबल पर चुनाव लड़ाने की बात कही जा रही है, उसमें पीस पार्टी, अपना दल, वामपंथी समेत अन्य छोटे दलों का नाम शामिल है. इन नेताओं को लोकसभा में पहुंचाने के लिए उन्हें दूसरे दलों के सिंबल पर चुनाव लड़ाया जा सकता है.
कांग्रेस को भी महागठबंधन में रखने के प्रयास हो रहे हैं लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस का बसपा व सपा के प्रति क्या रुख रहता है?
चर्चा है कि, गठबंधन के घटक दलों के बीच जल्द ही सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत होगी. लेकिन यह साफ है कि इस महागठबंधन में सपा और बसपा सबसे बड़े घटक दल होंगे.
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