मिर्चपुर का हाल: दलितों और जाटों की दूरी मिटा पाएगी मायावती-चौटाला की राखी?

बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को जब इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला को राखी बांधी तो हरियाणा के मिर्चपुर कस्‍बे का जाट और दलित समुदाय हैरान नजर आया. इसके 48 घंटे बाद दिल्‍ली हाईकोर्ट ने 2010 में दलितों की हत्‍या के मामले में 20 लोगों की रिहाई के फैसले को पलट दिया. कोर्ट ने शुक्रवार को फैसले में कहा, ‘जाट समुदाय ने जानबूझकर वाल्मीकि समुदाय के लोगों पर हमला किया.’

फैसले में यह भी कहा गया, ‘कोर्ट का यह मानना है कि सबूतों से साफ है कि जिस तरह का नुकसान और तोड़फोड़ हुई वह काफी व्‍यापक स्‍तर पर थी और यह जाट युवकों के छोटे से ग्रुप ने नहीं किया जैसा कि ट्रायल कोर्ट ने समझा. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वाल्मीकि बस्‍ती पर यह हमला वास्‍तव में भीड़ ने किया जो कि सुनियोजित और सुव्‍यवस्थित था.’

बता दें कि वाल्मीकि दलित समुदाय में उपजाति है. 2011 में सेशन कोर्ट ने 15 लोगों को सजा सुनाई थी और 82 को रिहा कर दिया था. उस घटना के बाद से गांव में कुछ नहीं बदला है.

गांव में घुसते ही जातिगत बंटवारा साफ दिखता है. कीचड़ भरा रास्‍ता और जहां गंदा पानी भरा है जाट और दलित बस्तियों को अलग करता है. इसे गांववाले ‘लक्ष्‍मण रेखा’ कहते हैं. दलितों के 40 परिवार इस गंदे रास्‍ते के दूसरी तरफ रहते हैं.

21 अप्रैल 2010 को एक कुत्‍ते के भौंकने के बाद जाटों ने दलितों के 18 घरों पर हमला किया. इसके बाद 254 दलित परिवार सुरक्षित जगह के लिए गांव छोड़ गए. कई महीनों तक बेघर रहने के बाद उनमें से कई हिसार के पास एक जमीन के टुकड़े पर बस गए. यह जमीन एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दी थी. केवल 40 परिवार मिर्चपुर लौटे. वे भी जल्‍द से जल्‍द गांव छोड़ने की तैयारी में हैं.

इनेलो के बसपा से हाथ मिलाने को चौटाला के राज्‍य की सत्‍ता में आने के अंतिम प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. इनेलो लगभग 15 साल से हरियाणा की सत्‍ता से बाहर है और वह मायावती के साथ मिलकर दलितों को अपने साथ लेना चाहती है. अनुसूचित जाति में वाल्‍मीकि समुदाय की हिस्‍सेदारी 19 प्रतिशत है.

इनेलो नेता और ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह ने पिछले महीने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, ‘राज्‍य की 90 में से 40 सीटों पर बसपा को 7-8 प्रतिशत वोट मिलते हैं. और 60 सीटें ऐसी हैं जहां इनेलो को 30 फीसदी वोट मिलते हैं. ऐसे में बसपा और इनेलो 39 से 40 प्रतिशत वोट हासिल कर सकते हैं और जिससे विधानसभा में आसानी से बहुमत मिल जाएगा.’

दोनों दलों का साथ आना राजनीतिक रूप से सटीक बैठता है क्‍योंकि इनेलो जाटों की पार्टी मानी जाती है और उसका ग्रामीण इलाकों में काफी असर है. लेकिन अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 17 विधानसभा सीटों पर भी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है. 2000 के विधानसभा चुनावों में उसने 13 रिजर्व सीटें जीती थीं.

2005 में उसे कुल नौ सीटें मिली थी और इनमें से छह रिजर्व थी जबकि 2009 में उसकी 31 सीटों में से नौ अनुसूचित जाति वाली सीटें थीं. अगले साल होने वाले चुनावों से पहले दोनों दलों ने वोटों को एकजुट करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.

इधर, मिर्चपुर में जाट समुदाय दलितों पर अत्‍याचार से साफ इनकार करता है. जाट समुदाय बसपा-इनेलो के गठबंधन से भी खुश नहीं है. 2010 के हमले के चलते ज्‍यादातर जाट घरों से पुरुषों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से कई दोषी भी करार दिए गए.

पेशे से किसान और मामले में आरोपी वजीर सिंह ने बताया, ‘दलितों की सब सुनते हैं लेकिन हमारी कोई नहीं. उनके पास सत्‍ता है क्‍योंकि उनके पास जाटों से ज्‍यादा वोट है. अब इनेलो भी उनके हाथ मिला रही है. वे जीत गए तो उनकी ज्‍यादा सुनी जाएगी.’

वजीर सिंह के पड़ोसी 53 साल के चंद्र प्रकाश ने बताया, ‘चौटाला राजनीतिक लालच में फंस रहे हैं. अगर वह मायावती की सुनेंगे तो हमारी मदद कैसे करेंगे?’ चंद्र प्रकश भी दलितों पर हमले के मामले में आरोपी हैं. एससी-एसटी एक्‍ट को फिर से लागू किए जाने पर भी गुस्‍सा दिखाई देता है. प्रकाश ने आगे कहा, ‘बीजेपी इस कानून को फिर से लेकर आई और चौटाला मायावती से हाथ मिला रहे हैं. ऐसे में हमारे पास केवल एक विकल्‍प बचता है.’

मिर्चपुर के निवासी लेकिन अब अस्‍थायी घर में रह रहे ओमा भगत ने कहा, ‘हमें उम्‍मीद है कि बहनजी हमें यहां से बाहर निकालेगी. हमारे वोट बीजेपी को जाएंगे अगर वह मकान देती है और हमें बसा देती है. मुख्‍यमंत्री ने जगह का उद्घाटन कर दिया है और शिलान्‍यास भी हो चुका है.’ बता दें कि राज्‍य सरकर हिसार के पास धंदूर गांव में दीन दयाल पुरम बसाकर दलितों को वहां पर शिफ्ट करना चाहती है.

मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सात जुलाई को इस प्रोजेक्‍ट की नींव रखी थी. यह आठ एकड़ में बनाया जाएगा. वर्तमान में 200 दलित परिवार एक सामाजिक कार्यकर्ता वेद पाल तंवर की जमीन पर रह रहे हैं. यहां बनाए गए कच्‍चे मकान बांस के सहारे टिके हुए हैं और इनकी छत प्‍लास्टिक से बनी है. पुरानी साडि़यों से घरों के दरवाजे बनाए गए हैं. भगत ने कहा, ‘इससे तो नरक में रहना बेहतर हैं.’

यदि मायावती और चौटाला के ‘राखी’ संबंधों को कोई चीज नुकसान पहुंचा सकती है तो वह है बीजेपी द्वारा नए घरों का निर्माण करना.

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