NRC पर ममता और मायावती के निशाने पर मोदी सरकार

नई दिल्ली। कहते हैं कि कोई इंसान कितना भी गरीब हो, धरती और आसमान पर सबका समान अधिकार है. किसी फिल्म का एक गाना भी है, जिसमें धरती को बिछौना बनाने और आसमान को ओढ़ने की बात कही गई है. लेकिन अब धरती और आसमान पर भी सरकारों का कब्जा हो गया है. दुनिया में क़रीब एक करोड़ लोग ऐसे हैं जिनका कोई देश नहीं.

सालों से सोई सरकारों को अचानक अपनी जमीन पर रहने वाले कुछ ‘खास’ लोग बेमतलब लगने लगे हैं और वो उन्हें बेदखल करने पर अमादा हो गई है. केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे एनआरसी यानि ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स’ अभियान से असम के लाखों लोगों की जिंदगी में अचानक तूफान आ गया है. इस अभियान के तहत सरकार ने असम में रह रहे उन लाखों लोगों को बाहरी घोषित करने पर तुली है, जिनके पास अपनी भारतीय नागरिकता को साबित करने के लिए कोई ठोस कागज नहीं है.

इस मुद्दे को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने असम में ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स’ (एनआरसी) से लाखों लोगों के नाम गायब होने पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संकीर्ण और विभाजनकारी नीतियों का परिणाम बताया है. मायावती ने कहा कि इस तरह की गंभीर घटना से देश के लिए सिरदर्द बन सकती है, जिससे निपट पाना बहुत मुश्किल होगा.

इस बारे में जारी एक बयान में बसपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा शासित असम में बरसों से रहने के बावजूद लाखों लोगों की नागरिकता सिर्फ इसलिये छीन ली गयी, क्योंकि वे अपनी नागरिकता के सम्बन्ध में कोई ठोस सबूत नहीं दे पाए. अगर वे प्रमाण नहीं दे सके तो इसका यह मतलब नहीं है कि उन लोगों से उनकी नागरिकता ही छीन ली जाए और उन्हें देश से बाहर निकालने का जुल्म ढाया जाए.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा और संघ की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही यह परिणाम है कि असम में ऐसा अनर्थ हुआ है. इस साल 31 दिसम्बर को अन्तिम सूची के प्रकाशन के बाद यह देश के लिए एक ऐसा सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त करके केन्द्र और असम में अपनी स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य प्राप्त कर लिया है.

तो वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि बंगाल में इस घटनाक्रम का गहरा दुष्प्रभाव पड़ेगा लेकिन ‘भाजपा एण्ड कम्पनी’ इसका भी फायदा लेने का प्रयास कर रही है. NRC की दूसरी लिस्ट में 40 लाख लोगों का नाम होने पर पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने बीजेपी के खिलाफ जोरदार तरीके से अपनी आवाज़ बुलंद की है. उनके इस मसले पर दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर अपनी बात रख चुकी हैं.

सिविल वॉर की चेतावनी देते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि बंगाली ही नहीं अल्पसंख्यकों, हिंदुओं और बिहारियों को भी एनआरसी से बाहर रखा गया है. जिन 40 लाख से ज्यादा लोगों ने सत्ताधारी पार्टी के लिए वोट किया था, उन्हें अपने ही देश में रिफ्यूजी बना दिया गया है. ममता ने कहा, ‘वे लोग देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. यह जारी रहा तो देश में खून की नदियां बहेंगी, देश में सिविल वॉर शुरू हो जाएगा.’

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