दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.फिल में धांधली का पूरा सच

केंद्र सरकार वैसे तो उच्च शिक्षा में बढ़ावा देने का दावा करती है, लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही है. दिल्ली विश्वविद्यालय में एमफिल/पीएचडी में दाखिला प्रक्रिया में धांधली हुई है. यह धांधली पिछले कई सालों से ऐसी ही चली आ रही है. लेकिन इस बार बड़े पैमाने पर असंवैधानिक तरीके से दाखिला प्रक्रिया पूरी की गई, जिसका विरोध भी छात्रों ने 28 अगस्त को दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट फैकल्टी में किया.

एमफिल/पीएचडी करने वाले दलित छात्रों के साथ भेदभाव किया गया है. आरक्षण के आधार मिलने वाले दाखिले को अलग-अलग विभाग के विभागाध्यक्षों ने ताक पर रखा. अनारक्षित वर्गों को अधिक सीटों पर दाखिला लिया है. इसका मतलब यह है कि आरक्षित वर्गों की सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों को दिया गया जो कि असंवैधानिक है. सबसे ज्यादा असंवैधानिक तरीके से दाखिला प्रक्रिया हिंदी विभाग और अफ्रीकन विभाग में हुआ. इसके अलावा अन्य विभागों में इसी तरह असंवैधानिक प्रक्रिया के तहत दाखिला हुआ. आइए हम बताते है किस प्रकार से दिल्ली विश्वविद्यालय की एमफ़िल/पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में धांधली हो रही है…

  •  एमफ़िल प्रवेश प्रक्रिया के पहले चरण में विभाग ने 875 अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा का क्रमवार परीक्षा परिणाम घोषित किया. अब इस मेरिट के हिसाब से कुल 25 सीटों पर प्रवेश के लिए तीन गुना यानी 75 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना था. इसमें क्रमवार सीटों का विवरण इस प्रकार होगा- UR- 12*3=36, OBC- 6*3=18, SC-4*3=12, ST-2*3=6, PWD- 1*3=3. यानि प्रवेश प्रक्रिया के पहले चरण लिखित परीक्षा परिणाम पर आरक्षण लागू है.

 

  • विभाग ने पहली धांधली यहीं की, कि लिखित परीक्षा के परिणाम की एकीकृत मेरिट लिस्ट को श्रेणीवार अलग अलग करके सूचीबद्ध किया. यानि यहाँ विभाग ने GEN, OBC, SC, ST, PWD की अलग अलग मेरिट लिस्ट बनाई. ध्यान दें, यहाँ UR की मेरिट लिस्ट बनाने की बजाय GEN की मेरिट लिस्ट अलग बनाई गई और बाकी सभी आरक्षित वर्ग की अलग मेरिट लिस्ट बनाई गई. यानी पहले चरण पर भी आरक्षण लागू है.

 

  • पहले चरण की लिखित परीक्षा की एकीकृत मेरिट लिस्ट को आरक्षण के मुताबिक़ पहले अलग अलग जाति समूहों में बांटा गया. अब उपरोक्त विभाजन के आधार पर अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. यहीं सबसे बड़ी धांधली यह की गई कि UR की 12 सीटों के लिए जिन 36 अभ्यर्थियों को सफल घोषित करना था, उन्हें GEN श्रेणी की सूची में से सफल किया गया, इसी तरह अलग अलग जाति-समूहों में से मेरिट के आधार पर आवश्यक संख्या में अभ्यर्थी सफल किया गए. UR में GEN को ही “50% विशेष सवर्ण आरक्षण” देकर बुलाने वाले विभागाध्यक्ष का तर्क है कि हम लिखित परीक्षा में तो UR को GEN ही मानेंगे, लेकिन अंतिम परिणाम में UR मानेंगे.

 

  • प्रवेश प्रक्रिया के पहले चरण का UR हिंदी विभाग के अनुसार ‘अपर कास्ट श्रेणी’ है, चूँकि यहाँ 36 अभ्यर्थियों को लिया जाना था, तो UR की कटऑफ मेरिट 263 नंबर तक चली गई. OBC, SC, ST, PWD की अलग अलग मेरिट लिस्ट बना देने से टॉपर भी अपने ही श्रेणी में आ गया. OBC में 18 अभ्यर्थी चुने गए, जिनकी कटऑफ 290 नंबर तक ही रही. यानी 263 नंबर पाने वाला अपर कास्ट अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में 50% सवर्ण आरक्षण पाकर साक्षात्कार के लिए बुला लिया गया, जबकि 289 नंबर पाने वाला OBC आरक्षण का कोटे से बाहर करके फ़ेल कर दिया गया.

 

  • यानि लिखित परीक्षा परिणाम में लागू ‘हिंदी विभाग’ का “50% विशेष सवर्ण आरक्षण” देकर UR की सभी सीटों को GEN में आरक्षित करके 263 नंबर तक पाने वाले सवर्णों को शामिल करने और 289 नंबर तक पाने वाले OBC को बाहर करने के लिए लागू किया गया है. यानि विभाग झूठ बोल रहा है कि पहले चरण की प्रवेश प्रक्रिया में हम आरक्षण नहीं देता. जबकि वह 50% अपर कास्ट को दे रहा है.

 

  • पहले चरण यानि इंट्री लेवल पर ही एक बड़ी संख्या में आरक्षित वर्ग के मेरिटधारी अभ्यर्थी को बाहर करके कम मेरिटधारी को शामिल करके विभाग पहले चरण में ही इंट्री नहीं करने दे रहा. विभागाध्यक्ष के अनुसार यह अंतिम परिणाम नहीं है, इसलिए हम “50% विशेष सवर्ण आरक्षण” देकर अपर कास्ट को सफल कर रहे हैं.

 

  • होना यह था कि एकीकृत मेरिट सूची में से शुरू के टॉपर 36 लोगों को UR में सफल कराते, जिसमें सभी श्रेणी के मेरिटधारी शामिल होते. इससे UR की कटऑफ़ 290 नंबर होती. यानि 290 नंबर के ऊपर पाने वाले सभी अभ्यर्थी UR में सफल होते. क्योंकि इनमें से किसी ने किसी भी स्तर पर आरक्षण की कोई छूट नहीं ली है. अर्थात सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार भी ये सभी मेरिटधारी अभ्यर्थी UR में ही सफल होंगे. उसके बाद OBC कोटे के 18 अभ्यर्थियों के लिए मेरिट कटऑफ़ नीचे 255 नंबर तक आएगी और 255 पाने वाला OBC आरक्षण का लाभ लेकर सफल होता. इसी तरह SC के 12 अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ़ 238 नंबर तक आती, ST के 6 अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ़ 190 नंबर आती और PWD की कटऑफ़ 220 नंबर तक आती.

 

  • अर्थात हिंदी विभाग आरक्षण का विशेष लाभ पाकर सफल होने वाले इन 24 आभ्यार्थियों को बाहर करके “50% विशेष सवर्ण आरक्षण” देकर 24 सवर्णों को साक्षात्कार के लिए बुला रहा है. विभागाध्यक्ष का कहना है कि हम पहले चरण में आरक्षण नहीं दे रहे, जबकि “50% विशेष सवर्ण आरक्षण” दे रहे हैं. यह संवैधानिक और सामाजिक न्याय दोनों के विरुद्ध है. यह न्यायालय की अवमानना है. यह अपराध है.

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