तो क्या अब बामसेफ का अस्तित्व खत्म हो जाएगा

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फाइट फोटोः बामसेफ के सम्मेलन की फोटो

वैसे तो बामसेफ के कई धड़े सक्रिय हैं, लेकिन वामन मेश्राम और बी.डी बोरकर ग्रुप की चर्चा ज्यादा होती है. मेश्राम धड़े के बामसेफ से जहां दूसरे और तीसरे दर्जे के सरकारी नौकरीपेशा बड़ी संख्या में जुड़े हैं तो बी. डी बोरकर के बारे में माना जाता है कि इस ग्रुप के सदस्यों में अधिकारी और प्रोफेसर एवं वकील जैसे बुद्धिजीवियों की संख्या अधिक है. हालांकि दोनों पक्षों के राजनैतिक दल बनाने के बाद अब बामसेफ को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

भारतीय मुक्ति मोर्चा और बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम

इसकी जायज वजह भी है. बामसेफ के एक धड़े वामन मेश्राम द्वारा तकरीबन दो वर्ष पहले ही भारत मुक्ति मोर्चा नाम से राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद अब बामसेफ के बोरकर ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष बी.डी. बोरकर ने भी राजनीति में उतरने का ऐलान कर दिया है. बोरकर ने 27 दिसंबर को नागपुर में अपने करीबियों के साथ आयोजित बैठक के बाद राजनीतिक दल की घोषणा कर दी. पार्टी का नाम पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया होगा.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.डी. बोरकर होंगे, जबकि उपाध्यक्ष मनीषा बांगर और सुप्रीम कोर्ट के वकील के. एस. चौहान होंगे. इसके अलावा 15 लोगों की एग्जीक्यूटिव कमेटी भी बनाई गई है. बोरकर की तरह ही मनीषा बांगर और के.एस चौहान दोनों लंबे समय से बामसेफ से जुड़े रहे हैं. तो वहीं पार्टी के अन्य प्रमुख सदस्य भी बामसेफ के सदस्य हैं. बावजूद इसके बी.डी. बोरकर इसे बामसेफ द्वारा बनाई गई राजनीतिक पार्टी कहने से इंकार कर रहे हैं. लेकिन बामसेफ के राष्ट्रीय अधिवेशन में बामसेफ के मंच से इस पार्टी की घोषणा करने से बोरकर के दावे झूठे साबित हो रहे हैं.

बामसेफ के पूर्व अध्यक्ष और नवगठित पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बी.डी बोरकर

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.डी. बोरकर ने भी वामन मेश्राम की तरह फुले-अम्बेडकराईट मूवमेंट की राजनीति करने की बात कही. वामन मेश्राम और उनकी राजनीतिक पार्टी का जिक्र करने पर बोरकर का कहना था कि मेश्राम की पार्टी एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है. राजनीतिक दल बनाने की जरूरत पर बोरकर कहते हैं कि यूपी को छोड़कर देश के मूलनिवासी ब्राह्मणवादी पार्टियों को वोट कर रहे हैं, इसलिए हमें राजनीति में आना पड़ा. फिलहाल राजनीतिक अखाड़े में उतरने से इंकार करते हुए उनका कहना है कि वो पार्टी के संगठन को मजबूत करेंगे. बोरकर की रणनीति शुरुआती दौर में लोगों को पार्टी से जोड़ने की है. शुरुआती दौर में वह यूपी. एमपी, बिहार और महाराष्ट्र में पार्टी का विस्तार करेंगे.

हालांकि बोरकर के राजनीतिक दल बनाने से बामसेफ से जुड़े तमाम बौद्धिक लोगों में हचलच मच गई है. ऐसे तमाम लोग जो बामसेफ को सामाजिक आंदोलन की आवाज मानते थे उन्हें झटका लगा है. देश के प्रख्यात चिंतक प्रो. विवेक कुमार कहते हैं कि पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया के बनने से ऐसा प्रतीत होता है कि बहुजन समाज आत्मनिर्भर सामाजिक आंदोलन से अनाथ हो गया है. देखना होगा कि यह नया राजनैतिक दल सच में काम करता है या फिर अम्बेडकरवाद का दंभ भरने वाले कुछ अन्य राजनैतिक दलों की तरह गुमनामी में खो जाएगा.

एक संभावना यह भी है कि जिस तरह कांशीराम के सक्रिय राजनीति में आने के बाद उनको समर्थन देने वाले सरकारी कर्मचारी और अधिकारी सैडो बामसेफ के रूप में काम करने लगे, उसी तरह कहीं ये दोनों ग्रुप भी अब अपने राजनीतिक दल के साथ सैडो रूप में काम न करने लगें. यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि दोनों धड़ों का आधार वही लोग हैं, जो बामसेफ में उनके साथ काफी समय से सक्रिय हैं. तो क्या अब बामसेफ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा?

7 COMMENTS

  1. ऐसे बामसेफ के बारे यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि डॉ बाबा साहेब अम्बेकर ने कहा था हमें अपने समाज के पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया है उसके बाद 1979 में वापस वही कहानी मा कांशीराम साहब के साथ भी हुआ जिससे भारत में एससी एसटी ओबीसी के लोग बड़े पैमाने पर आपस में विभाजित हो रहे हैं जय भीम जय कांशीराम जी

  2. भारत मुक्ति मोर्चा राजनीतिक पार्टी नहीं है
    पता नही क्यों गलत जानकारी पोस्ट करते हो
    यह बामसेफ का अराजनैतिक,संघर्षशील संगठन है

  3. बामसेफ अच्छा संगठन है, जोकि संविधान के हिसाब से चलता है ,जय संविधान जय बामसेफ

  4. भारत मुक्ति मोर्चा पार्टी नही सामाजिक संगठन हैं इतनी जानकारी लाते कहा से है
    जय भीम जय मुलनिवासी जय संविधान

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