गोरखपुर। देश को हॉकी के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले गोरखपुर के इमरान की जिंदगी खेल के मैदान से निकल सड़कों पर आकर ठहर गई है. जो अब दो जून की रोटी की जुगाड़ में घर-घर जाकर स्पोर्ट्स किट्स बेचने को मजबूर है. पूर्वांचल की माटी से देश के लिए हॉकी को 8 अंतरराष्ट्रीय और 50 से अधिक राष्ट्रीय खिलाड़ी देने का गौरव हासिल है. इन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम की उप कप्तान रहीं निधि खुल्लर, संजू ओझा, रजनी चौधरी, रीता पांडेय, प्रवीन शर्मा, सनवर अली, जनार्दन गुप्ता और प्रतिभा चौधरी जैसे कई खिलाड़ियों को हॉकी की ट्रेनिंग दी है.
बता दें, कि 1973 में रोजी रोटी की तलाश में इमरान गोरखपुर आ गए. यहां के खाद्य कारखाने में स्पोटर्स कोटे से नौकरी मिल गई.जहां उन्होंने नौकरी के साथ हॉकी की ट्रेनिंग देना भी जारी रखा. लेकिन अचानक 31 दिसंबर 2002 में खाद्य कारखाना बंद हो गया और नौकरी चली गई. इमरान ने बताया कि उन्हें भारत सरकार की तरफ से 900 रूपए पेंशन मिलता है, लेकिन आज की महंगाई में इतने कम पैसे में क्या घर की दाल रोटी चल सकती है. वहीं हमने खिलाड़ियों के लिए लोअर बनाने का कारखाना शुरू किया, लेकिन पैसे के अभाव में यह भी बंद हो गया.
आज के दौर में ये हौनहार कोच घर-घर जाकर स्पोर्ट किट बेचते हैं. वैसे ज्यादारतर किट वहां ले जाकर बेचते हैं, जहां कोई टूर्नामेंट हो रहा होता है. किट बेचने पर कमीशन मिलता है. जिससे वो अपने परिवार की जिंदगी की डगर को धक्का दे रहे हैं. इमरान के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. बेटा आमिर प्राइवेट फर्म में 6 हजार की नौकरी करता है, तो दूसरी तरफ बेटी उज्मा की पढ़ाई पैसों की वजह से पूरी नहीं हो पाई.
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