दलित दूल्हे की बारात निकालने की मांग को हाई कोर्ट ने किया खारिज

लखनऊ। यूपी में दलित समाज का एक युवक अपनी दुल्हन के घर तक बारात लेकर जाना चाहता है, लेकिन शायद यूपी की योगी सरकार उसे ऐसा नहीं करने देना चाहती. हाथरस के बसई बाबा गांव के संजय कुमार की माने तो ऐसा ही लगता है.

असल में संजय की शादी ठाकुर बहुल गांव में तय हुई है. संजय अपनी दुल्हन के घर तक गाजे-बाजे के साथ बारात लेकर जाना चाहते हैं. लेकिन दिक्कत यह है कि उस गांव में जातिवादियों का इतना वर्चस्व है कि उस गांव में किसी जाटव को ठाकुरों के घर के सामने से अपनी बारात ले जाने की अनुमति नहीं है.

संजय कुमार ने हाईकोर्ट में अपील कर ठाकुर बहुल गांव में रहने वाली दुल्हन के घर तक बारात निकालने की इजाजत मांगी थी, लेकिन यूपी सरकार की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी है. दरअसल कोर्ट द्वारा मामले में अपील के बाद पिछले सप्ताह DM और SP ने दुल्हन के गांव निजामाबाद (कासगंज जिला) का दौरा किया. इसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट में रास्ते में नाले, कूड़े और चौड़ाई का हवाला देकर बारात निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने बारात निकालने की इजाजत न देने के पीछे यह भी बहाना दिया कि अब तक उस रास्ते से कभी जाटवों की बारात नहीं निकली.

जबकि दूल्हा और उसके परिवार वालों का आरोप है कि ठाकुर समुदाय नहीं चाहता कि उनके घर के सामने से कोई दलित बारात निकाले. संजय कुमार कहते हैं, ‘संविधान कहता है कि हम सब बराबर हैं, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि हम सब हिंदू हैं. वे एक हिंदूवादी पार्टी के मुखिया हैं. फिर हमें ऐसी स्थिति का सामना क्यों करना पड़ रहा है.’ ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के सदस्य कुमार पूछते हैं, ‘क्या मैं हिंदू नहीं हूं? एक संविधान से चलने वाले देश में लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते.’

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