छपरा। इस साल लगभग पूरा देश बाढ़ से प्रभावित रहा. जिनमें बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मुंबई, असम बाढ़ से अधिका प्रभावित हुए. बिहार में स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय रही. जहां करोड़ों लोगो प्रभावित हुए. सैकड़ों लोगा मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए.
बाढ़ के बाद बिहार के कई जिलों और सैकड़ों गांव के हालात सुधरने में न जाने कितना वक्त लगेगा. एक तो लचर सरकारी व्यवस्था उसमें भी जातिवाद का दंश. सरकार द्वारा दी जा रही खाने-पीने वस्तुएं और अनुदान को भी अधिकारी और सरपंच जाति के आधार पर बांटी जा रही है.
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बिहार के सारण जिले के अमनौर प्रखंड में बाढ़ पीड़ित परिवारों को सरकारी अनुदान देने के लिए हो रहे सर्वे में दर्जनों दलित परिवारों के नाम जोड़े नहीं गए. इसको लेकर शेखपुरा पंचायत के वार्ड संख्या एक के दर्जनों दलित परिवार प्रखंड कार्यालय गए. लेकिन अंचलाधिकारी ने आवेदन लेने से इंकार कर दिया.
इसके बाद दलितों ने जिलाधिकारी हरिहर प्रसाद को आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत पत्र में दलितों ने लिखा है कि बाढ़ परिवारों को दिये जाने वाले परिवारिक अनुदान से वंचित करने को लेकर प्रगणक सहशिक्षक, वार्ड सदस्य पक्षपात कर दलित परिवारों का अनुदान से सूची से नाम हटा दिया है. वहीं वे लोगों अनुदान की राशि गबन करने के लिए अपने नाबालिक बच्चों एवं सगे-संबंधियों का नाम जोड़ दिया है.
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उन्होंने कहा है कि बाढ़ से वार्ड संख्या एक के सभी दलित परिवारों की घर-गृहस्थी पूरी तरह प्रभावित हो गई है. लेकिन स्थानीय सवर्ण जनप्रतिनिधियों और प्रगणक सहशिक्षक मिलीभगत कर बाढ़ प्रभावित दलित परिवारों को मिलने वाले सरकारी अनुदान से वंचित करने की साजिश कर रहे हैं. इस पर डीएम ने आपदा प्रबंधन विभाग के पदाधिकारियों जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
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