अगर EVM से ऐसे होगा चुनाव तो धांधली मुश्किल

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एड. रमेश चन्द्र गुप्ता

नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम के खिलाफ राजनीतिक दलों से लेकर सामाजिक संगठनों और तमाम जागरूक व्यक्तियों ने मोर्चा खोला हुआ है. चुनाव आयोग से लगातार आगामी चुनाव EVM की जगह बैलेट पेपर से कराने की मांग की जा रही है. साथ ही चुनाव EVM से कराए जाने की स्थिति में उसमें कई नियमों को लेकर सवाल उठाए गए हैं.

उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले एडवोकेट रमेश चन्द्र गुप्ता ने चुनाव आयोग से सूचना के अधिकार के तहत कुछ सवाल पूछे हैं जो काफी दिलचस्प हैं. उनका कहना है कि वे भारत देश के एक जागरुक मतदाता हैं. उन्होंने ये सवाल इसलिए उठाए हैं क्योंकि वो चाहते हैं कि चुनाव फ्री, फेयर और ट्रांसपैरेंट हो. एडवोकेट गुप्ता ने जिन सवालों को उठाया है अगर चुनाव आयोग उसे मान लेता है तो फिर EVM से चुनाव होने की स्थिति में भी किसी के द्वारा EVM के साथ छेड़छाड़ करना मुश्किल होगा. एडवोकेट गुप्ता के सवालों पर नजर डालने पर साफ है कि ये काफी महत्वपूर्ण हैं.

एडवोकेट रमेश ने आयोग से जो सूचना मांगी है, उसमें VVPAT को लेकर तमाम सवाल उठाए गए हैं. उन्होंने पूछा है कि क्या 2019 लोकसभा चुनाव में सभी EVM के साथ VVPAT लगाना अनिवार्य है. एक अन्य सवाल में एडवोकेट गुप्ता ने आयोग से यह पूछा है कि कितने प्रतिशत वोटों की गिनती VVPAT से निकली पर्चियों से होगी. उन्होंने यह भी पूछा है कि मतगणना दोबारा होने यानि रि-काउंटिंग की स्थिति में रिकाउंटिंग EVM से होगी या VVPAT से निकली हुई पर्चियों से.

अपने सवालों में VVPAT का मुद्दा मजबूती से उठाए जाने पर एडवोकेट गुप्ता कहते हैं कि “जब हम EVM से वोटिंग करते हैं तो वोटिंग के सात सेकेंड के बाद उसमें से एक पर्ची निकलती है, जिसमें कैंडिडेट का नाम, उसका चुनाव चिन्ह और उसका नंबर होता है. यह समय इतना कम होता है कि इस दौरान मतदाता उसे देख नहीं पाता. इसके बाद वह पर्ची नीचे गिर जाती है. एक बूथ पर जितने मतदाताओं ने वोट किए हैं, उसकी पर्ची यानि वीवीपैट भी उतनी होनी चाहिए. इससे पारदर्शिता रहती है. साथ ही नियम है कि शुरुआती 50 पर्चियों का मिलान ईवीएम में हुए मतदान से कर लिया जाए, जिससे यह तय हो जाए कि ईवीएम सही काम कर रही है. लेकिन कई बार इसकी अनदेेखी हो जाती है.”

एडवोकेट रमेश चन्द्र गुप्ता के ये तमाम सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन्हीं की अनदेखी EVM में छेड़छाड़ का कारण बनती है. अगर इन सवालों पर चुनाव आयोग ईमानदारी से सोचता है और उसको लागू करने की पहल करता है तो ऐसी स्थिति में EVM के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ या तो बहुत मुश्किल होगी या फिर ऐसा होने की स्थिति में उसे आसानी से पकड़ा जा सकेगा. और ऐसे में रमेश चन्द्र गुप्ता जैसे देश के तमाम मतदाताओं के फ्री, फेयर और ट्रांसपैरेंट चुनाव की मांग पूरी की जा सकेगी.

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