‘दलित बहू स्वीकार पर दलित को बेटी नहीं देंगे’

“उनकी छोरी थी, मार दी..कोई जुल्म नहीं करया. मार दी ते बढ़िया करया. पांच-छह और ऐसा कर दें तो छोरियां डरण लाग जांगी, भाजेंगी नहीं.”

ममता की पड़ोस की बुज़ुर्ग महिला मुझसे ये बातें कह रहीं थी. वही महिला जो ममता से शायद रोज़ मिलती होंगी. वही महिला जिसने बचपन से ममता को बड़े होते देखा. ममता वही लड़की है जिसे हरियाणा के रोहतक में दो बाइक सवारों ने लघु सचिवालय के सामने आठ अगस्त को दिन-दहाड़े गोली मार दी थी. इस हत्या के आरोप में ममता के माता-पिता पुलिस हिरासत में हैं. मंगलवार (14 अगस्त) को उसके रिश्ते के एक भाई और दोनों शूटर्स को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया.

लेकिन मामला इतना ही नहीं है और इसलिए यहां खत्म भी नहीं हो जाता. सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों को ऐतराज़ रहा कि लड़की की जाति न लिखी जाए. कई लोग कहते रहे कि लड़के ने लड़की को बहलाया-फ़ुसलाया. कई उनकी उम्र के अंतर पर भी ज़ोर देते रहे. लेकिन ऐसे लोग कम नहीं हैं जो साफ़ कह रहे हैं कि ये हत्या जायज़ है.

क्यों मारी गई ‘ममता’?

ममता को उसके माता-पिता ने अपने रिश्तेदारों से गोद लिया था जब वह एक साल की थी. उसे प्यार था सुमिन से जो उन्हीं के यहां किराये के कमरे पर रहता था. ममता एक जाट परिवार से थीं जो हरियाणा में एक अगड़ी जाति मानी जाती है. वहीं सुमिन वाल्मिकी जाति से है जो एक अनुसूचित जाति है.
पुलिस में दर्ज एफ़आईआर के मुताबिक ममता 2017 में अपने प्रेमी सुमिन के साथ घर से चली गई और दोनों ने आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली. तब सुमिन की उम्र 26 साल थी और ममता के पिता के आरोप के मुताबिक तब ममता की उम्र 17 साल थी.

दोनों ने शादी करते ही हाई कोर्ट में अपनी सुरक्षा के लिए याचिका लगाई. लेकिन ममता के पिता के आरोप के बाद पुलिस ने पाया कि ममता ने अपने आधार कार्ड में गड़बड़ी की है. पुलिस ने जालसाज़ी के आरोप में सुमिन और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट ने ममता को करनाल शहर के नारी निकेतन भेज दिया.
पिछले सात महीनों से सुमिन के साथ-साथ उसके पिता भी इसी जालसाज़ी के आरोप में जेल में हैं. इस बीच ममता 18 साल की हो गई और सुमिन के साथ जीवन बिताने के फ़ैसले पर अड़ी रही.
आठ अगस्त को सुमिन पर लगे मुकदमे की तारीख़ पर ममता दो पुलिसकर्मियों के साथ रोहतक कोर्ट आई थी. जब वो बाहर निकली तो दो बाइकसवारों ने उस पर गोलियां चला दीं. उसके साथ आए सब-इंस्पेक्टर की भी मौत हो गई.
पुलिस ने तुरंत उसके माता-पिता और जन्म देने वाले माता-पिता को कथित ‘ऑनर किलिंग’ के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया. वैसे जब इस केस से जुड़े लोगों से बात हुई तो मामला ‘कथित’ नहीं लगा.

ममता की शादी की तैयारियां की जा रही थीं

श्याम कॉलोनी में ममता का बड़ा सा घर सुनसान पड़ा था. दरवाज़ा खटखटाने पर उसकी भाभी बाहर आई. उन्हें अपना परिचय दिया तो वो बिना कुछ कहे अंदर चली गईं. उनके बच्चे ने कहा कि हमको बात नहीं करनी. पड़ोस में बात करने की कोशिश की तो एक बुज़ुर्ग महिला ने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता. जब पुलिस आई, तभी पता चला कि कुछ हुआ है. गली में दो घर छोड़ कर रहने वाली ये महिला कह रही थीं कि वो अभियुक्त मां-बाप का पूरा नाम भी नहीं जानतीं. तभी एक और महिला वहां आईं और मुझे ममता और उसके परिवार के बारे में बताने लगीं. उन्होंने बताया कि वो पहले ममता के माता-पिता के साथ कोर्ट भी जा चुकीं हैं. बातों-बातों में उनके मुंह से निकल गया कि पिछले साल ममता का रिश्ता हो रहा था और रस्म के लिए लोग आने वाले थे. वो बोलीं, “जिसको बट्टा लगता है, उनकी खाट खड़ी होती है. उनका कलेजा फटता है. छोटी बात नहीं है. मारना मजबूरी हो जाती है. मेरी लड़की करती ऐसा तो मैं भी मार देती.” जब मैंने उनसे पूछा कि शादी तो हो ही गई थी, कथित बट्टा तो लग ही गया था तो फिर मारने से हासिल क्या हुआ तो उन्होंने कहा कि ‘अगर वो वाल्मीकि लड़का हमारी गली में उसको लेकर घूमने लग जाता तो?’

उन्होंने माना कि अगर लड़का अपनी जाति का होता तो शादी करने में बुराई नहीं थी.
इन बुज़र्ग महिला की बातों से पता चला कि ममता की किसी और से शादी की तैयारियां हो रही थीं. तो क्या इसी वजह से आनन-फ़ानन में उसे घर से बिना बताए जाना पड़ा और शादी कर ली? इसके अलावा सबसे बड़ा मसला सुमिन का जाति से वाल्मीकि होना था. 15 मिनट की रिकॉर्डेड बातचीत में लड़की और लड़के की उम्र में अंतर या लड़की के करियर की बात उन्होंने नहीं की.

पंचायत ने किया अंतिम क्रिया से इनकार

ममता का शव अस्पताल में लावारिस था. माता-पिता जेल में थे. रोहतक शहर से 3-4 किलोमीटर दूर सिंहपुरा गांव में सुमिन का घर है. जब वहां पहुंची तो एक पुलिसकर्मी ने दरवाज़ा खोला. ममता की हत्या के बाद से ही वहां पुलिस सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. मुझे पता चला कि सुबह ही इसी गांव में ममता पर गोली चलाने वाले लोग पकड़े गए हैं.

सुमिन के छोटे भाई दिनेश ने बताया कि वे लोग ममता का दाह-संस्कार करना चाहते थे लेकिन गांव की पंचायत ने मना कर दिया क्योंकि खाप के सिस्टम के हिसाब से आठ गांवों में भाईचारा है और लड़का और लड़की के गांव इन्हीं आठ गांवों में आते हैं.

दिनेश ने ये भी बताया कि जब सुमिन को जालसाज़ी के आरोप में थाना ले जाया गया था तब खुद एसएचओ ने कहा कि ‘जाट की लड़की को लेकर गए हो, बस ये मसला है और गड्ढ़ी खेड़ी वाले (अभियुक्त पिता का गांव) तुम्हें मारेंगे.’
उन्होंने कहा, “भाई को समझाया था कि ग़लत हुआ है क्योंकि ये लोग हमारी जाति वालों को अपनाएंगे नहीं.”
“यहां जाट बिरादरी के लोगों ने अंतरजातीय शादी की है. एक बहू धानक(अनुसूचित जाति) जाति की भी है लेकिन ये लोग कहते हैं कि हम ला सकते हैं लेकिन तुम ऐसा नहीं कर सकते.”
मैंने उनसे पूछा कि जाट तो कहते हैं कि दलितों और जाटों में भाईचारा होता है, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ‘ऐसा होता तो फिर ये विरोध होता ही क्यों, हमारे घर में सब कुछ है, सब सुविधा है, हमारे भी दो हाथ-पैर हैं.’
सुमिन के पिता 23 साल तक भारतीय सेना में रहे हैं.

दलित बहू तो ठीक लेकिन दलितों को नहीं देंगे बेटी

इस गांव के सरपंच तो नहीं मिले लेकिन उन्होंने फ़ोन पर कहा कि उनके भाई और बेटे से इस मामले पर जानकारी ले ली जाए. सरपंच के भाई अतर सिंह ने बताया कि क्योंकि मामला आठ गांव के भाईचारे का था और ममता के यहां दाह-संस्कार पर विवाद हो सकता था, इसलिए पंचायत ने मना कर दिया. साथ ही उन्होंने दिनेश की कही बात भी दोहराई कि जाट लड़का अगर अनुसूचित जाति की लड़की से शादी कर ले तो पंचायत को ऐतराज़ नहीं होता लेकिन लड़की के ऐसा करने पर विवाद हो जाता है. वो कहते हैं कि पहले हरिजनों और जाटों का भाईचारा होता था लेकिन अब कोई ऐसा नहीं मानता. सरपंच के बेटे सहदेव ने बीच में कहा कि वो भी एक अनुसूचित जाति की लड़की से शादी करना चाहते थे लेकिन घरवाले नहीं माने और फिर अरेंज मैरिज हुई.

महिलाओं ने की ममता की अंतिम क्रिया

हरियाणा की महिला आयोग की अध्यक्षा प्रतिभा सुमन ने बताया कि उन्होंने प्रशासन को लिख कर दिया था कि ममता की अंतिम क्रिया आयोग करना चाहता है.
“जिन मां-बाप ने अपनी बेटी की जान ले ली, उन्हें कोई अधिकार नहीं होना चाहिए उसकी अंतिम क्रिया का.”
प्रतिभा सुमन बताती हैं कि ग्रामीण स्तर पर इन बुराइयों को ढंकने में सरपंचों की अहम भूमिका होती है.
वो खुद एक घटना के बारे में बताते हुए रोने लगती हैं कि एक गांव में एक सरपंच के परिवार ने ही अपने घर की बहू को ईखों में ले जाकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वो अपने पति की ज़्यादतियों से परेशान थी और उसे छोड़ किसी और पुरुष के साथ रहना चाहती थी. इस अपराध में उस महिला के बेटे भी शामिल थे.
महिला आयोग की सदस्यों ने ही ममता की अर्थी को कंधा दिया और पूरी अंतिम क्रिया की.

कहाँ हैं हरियाणा के युवा नेता?

हरियाणा की ऑनर किलिंग मामलों में एक बात हमेशा नज़र आती है कि सभी राजनीतिक दल इस के ख़िलाफ़ बयान देने से बचते हैं.
इस वक़्त हरियाणा में युवा नेताओं की पूरी खेप तैयार हो रही है लेकिन वे भी इस तरह की घटनाओं पर बोलने से कतराते हैं.
महिला मुद्दों पर सालों से काम कर रही जगमति सांगवान राष्ट्रीय मीडिया में एक जाना-माना नाम है.
वो कहती हैं, “नेताओं के लिए ये खापें और जातिवादी लोग एक वोट बैंक हैं और इसलिए ये ख़ुद को इन मसलों से दूर रखते हैं”
“ज़रूरत तो हमारे युवाओं को एक स्वर में इन घटनाओं की निंदा करने की है. लेकिन जब हम लोग कॉलेजों में जाकर प्रेम-विवाह को लेकर छात्रों की राय पूछते हैं तो वो कहते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं लेकिन वही बच्चे अपने घरों में, गाँवों में जाकर कुछ और कहने लगते हैं. उनमें वही बात आ जाती है कि मेरी बहन ऐसा कैसे कर लेगी!”
जगमति कहती हैं कि जहां इतने लोग प्यार में एक-दूसरे को धोखा देते हैं, यहां इस लड़के ने शादी ही तो की है और प्यार की वजह से ही जेल भी काट रहा है

सुमिन के घर में पुलिस सुरक्षा दी गई है

नाबालिग़ की अपनी मर्ज़ी से की गई शादी वैध
भारत के कानून के मुताबिक़ बाल-विवाह या नाबालिग़ का विवाह गैर-कानूनी है.
लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के मुताबिक अगर ये शादी हो जाती है तो उसे अवैध नहीं माना जाएगा.
लड़की चाहे तो इसे बालिग़ होने पर अवैध मान सकती है और तलाक़ का आधार बना सकती है.
अगर वो बालिग़ होने पर अपनी शादी खत्म नहीं करना चाहती है तो ये विवाह कानून की नज़र में वैध है.

साभार: बीबीसी

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