नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट को लेकर दिए गए फैसले ने समाज से लेकर राजनीति में सुगबुगाहट पैदा कर दी है. उच्चतम न्यायालय के नए आदेश के बाद तमाम तरह की आशंकाएं उठाई जा रही है. इस मुद्दे को लेकर भाजपा के दलित सांसदों ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मामले को पीएम मोदी के सामने उठाने और सरकार द्वारा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन लगानी चाहिए. सूत्रों के अनुसार थावरचंद गहलोत ने सभी दलित सांसदों को भरोसा दिया है कि वो पूरे विषय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात करेंगे.
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 20 मार्च को सभी पार्टियों के दलित सांसदों को डिनर दिया था, जिसमें थावरचंद गहलोत भी थे. इस डिनर में भी कोर्ट के फैसले से पहले सभी सांसदों ने कहा था कि अगर फैसला उनके पक्ष में नहीं आता हैं तो पूरे मामले को प्रधानमंत्री मोदी के सामने रखकर आगे की रणनीति तय करनी होगी. डिनर में पदोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
दूसरी ओर महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टी और एनडीए के सहयोगी रामदास अठावले ने भी एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरूण जेटली और अमित शाह से मुलाकात की है. अठावले ने कहा कि दोनों नेताओं ने उनसे कहा कि सभी मामले फर्जी नहीं होते हैं. वहीं कांग्रेस के दलित नेता पीएल पुनिया ने कहा कि बीजेपी सांसदों को डिमांड करने की जरूरत नहीं है. ये उनकी सरकार है. उन्हें रिव्यू पिटीशन फाइल करना चाहिए, लेकिन वे इसके खिलाफ हैं.
बता दें कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अधिनियम-1989 के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक मामले में फैसला सुनाते हुए नई गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी. इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा. यदि आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा कि संसद को यह कानून बनाते समय नहीं यह विचार नहीं आया होगा कि अधिनियम का दुरूपयोग भी हो सकता है. देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें इस अधिनियम का दुरूपयोग हुआ है. एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 मामलों की शिकायतें सामने आई थी. इनमें से दर्ज हुईं शिकायतों में से सिर्फ 935 ही झूठी पाई गईं. यानि दर्ज हुए मामले में 10 प्रतिशत से कम मामले फर्जी थे.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
Sir,
Aap bahut acha kaam kar rahe hai aur ye sangharsh humare logo ke liye humesa jari rakhe.
Jai Bhim
जय भीम।