दलितों के लिए आज ″काला दिवस″

पुडुचेरी। पुडुचेरी तथा कुड्डालोर महाधर्मप्रांत एवं अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए बने आयोग ने निश्चय किया है कि वे दलित ईसाई और दलित मुसलमानों को अनुसूचित जाति के दर्जा में अस्वीकार करने के विरोध में 10 अगस्त को ″काला दिवस″ के रूप में मनायेंगे.

पुडुचेरी में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए बने आयोग के सचिव फा. ए. अर्पुथाराज ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि संविधान (अनूसूचित जाति) आदेश,1950 के अनुसार ‘कोई भी ऐसा व्यक्ति, जो हिन्दू (सिक्ख या बौद्ध) धर्म के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म में आस्था रखता हो, को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जायेगा. इस आदेश में संसद द्वारा 1956 में संशोधन कर दलित सिक्ख व दलित बौद्धों को भी इसमें शामिल कर दिया गया.
यह साफ़ है कि इस आदेश के तहत अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण केवल हिन्दुओं (सिक्ख या बौद्ध दलितों सहित) को उपलब्ध है, ईसाई या मुसलमान दलितों या किसी अन्य धर्मं के दलितों को नहीं. इसका अर्थ यह है कि अनुसूचित जाति का हिन्दू केवल तब तक ही आरक्षण का लाभ ले सकता है, जब तक कि वह हिन्दू बना रहे. अगर वह अपना धर्म परिवर्तित कर लेता है, तो वह आरक्षण का पात्र नहीं रहेगा.
स्पष्त:, हमारे संविधान में अनुसूचित जाति की परिभाषा केवल और केवल धर्म पर आधारित है. इसलिए इस्लाम ईसाई व अन्य धर्म मानने वाले इससे बाहर हैं.
मामले को उच्च न्यायालय में भेजा गया था फिर भी इसका गठन नहीं किया गया है.

फादर ने कहा कि दलित ईसाई और दलित मुसलमान संवैधानिक अधिकार से पिछले 67 वर्षों से धर्म के आधार पर वंचित हैं.
उन्होंने बतलाया कि भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष निधिनाथन ने संबंधित क्षेत्रों, धर्मप्रांतों और संस्थानों में 10 अगस्त को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने का आह्वान किया है.
अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए बने आयोग के सचिव फा. ए. अर्पुथाराज ने जानकारी दी कि दलित ईसाईयों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बैठकें, रैलियों, प्रदर्शनों और मोमबत्ती जागरण आयोजित की जाएगी.

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