भीड़ की सियासत! किस ओर जा रहा है विश्व गुरु।

जब एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति थे जो स्वयं एक प्रख्यात वैज्ञानिक भी रहे हैं और जो मिसाइल मैन के नाम से विख्यात थे,उन्होंने विजन 2020 किताब के माध्यम से भारत को सन् 2020 तक एक महा शक्ति बनाने का सपना देखा था।महाशक्ति केवल परमाणु अस्त्रों या मिसाइल बनाकर,या शैन्य शक्ति को मजबूत बनाकर ही नहीं वरन भारत की उन तमाम समस्याओं से पार पाकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की ,विकाशसील भारत नहीं वरन विकसित भारत बनाने की कल्पना की थी।जिन विकट समस्याओं से देश आजादी से पूर्व तथा आजादी के 70 सालों तक जूझ रहा है।“भ ”से भजन और भगवान का पाठ पढने वाले देश में आज भ से भीड हिसा़ पर व्यापक चिंता हो रही है और चर्चा भी हो रही है।इस भीड़ तंत्र के शोर-शराबे में भूख से मरने वाले इंसानों की कोई चीत्कार सुनाई नहीं देती है।

भीड़ भी देश की है और मरने वाले भी देश के ये अजीब किस्म का नजारा देश में अशांति फैलाने का काम कर रहा है।गॉंधी जी ने कहा है कि पाप से घृणा करो पापी से नहीं।हमको मॉंब लिचिंग पर शक्त कानून तो अवश्य ही बनाना चाहिएं मगर किसी भी घटना के घटित होने के पीछे कुछ न कुछ कारण और कारक जरुर होते हैं उनको भी जानान आवश्यक हो जाता है।जिस प्रकार अलग-अलग वायरस कंप्यूटरों पर अटैक कर उनको खराब कर देता है उसी प्रकार हिंदूस्तान में भी तीन प्रकार के वायरस सक्रिय हैं-पहला अंधविश्वास का वायरस,दूसरा धर्म तथा जातिवाद का वायरस और तीसरा राजनीति का वायरस। जिस प्रकार देश में भीड़ द्धारा या अन्य कारणों से हिंसा होती है उन हिंसाओं के पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से ये कारण छुपे होते हैं।और ये सभ्य और सुशिक्षित समाज के आंखों में पटटी बांध देते है।सिर्फ कानून बनाकर ही बुराइयों और समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता इसके कई उदाहरण हमारे पास है

यहॉं तक की संपत्ति रखने का अधिकार भी मूल अधिकार की श्रेणी से 42वें संविधान संशोधन द्धारा हटाया गया है मगर आज देश में पूॅंजी पतियों तथा पूॅंजीरहित लोगों के बीच में कितना लंबा फासला है किसी से छुपा नहीं है।अस्पृश्यता निवारण के लिए भी शख्त कानून है,दहेज उत्पीड़न के लिए भी शख्त कानून है,मगर इन कानूनों के बावजूद भी घटनायें लगातार घट रही है।यहॉं तक की हमारे पास शिक्षा का अधिकार कानून भी है मगर शत-प्रतिशत शिक्षित भारत अभी तक नहीं बन पाया है।विजन 2020 के बाद सन् 2025 तक भारत को विश्व गुरु बनाने का भी सपना हमने देखा है।इस कडी़ में प्रधानमंत्री मोदी जी ने मोर्चा संभाला है और इलेक्टा्रनिक समाज और डिजिटल भारत के निर्माण की ओर पहल की है।जिसमें डिजिटल इंडिया को प्रमुखता दी है।लड़खडाते गरीब के कदमों ,दम तोड़ रहे किसानों और करोडों़ बेरोजगारों की फौज के बावजूद भी देश स्मार्ट सिटि में तब्दील होने को है।

बुलेट ट्रेन देर सबेर देश में दौडने वाली है और मेकइन इंडिया से से भारत यांत्रिकी में अग्रसर होगा ऐसी उम्मीद की जा सकती है।ये सभी कदम और योजनायें वास्तव में भारत को विश्व गुरु बनाने में अवश्य ही मील का पत्थर साबित हो सकते थे।मगर आजकल देश में कुछ और ही नजारा दिख रहा है।जहॉं हमको न्यूइंडिया की नींव को मजबूत करना था वहॉं हिंदू और मुसलमान की नींव को और गहरा किया जा रहा है।जहॉं हमको समतामूलक समाज की नींव को मजबूत करना था जातियों को मजबूत किया जा रहा हैं।पहले ही भ्रमित और अंधविश्वास से लोग जकडे़ हुए हैं।कभी किसी को डायन का रुप बताकर मार दिया जाता है।,हाल ही दिल्ली में एक ही परिवार के 11 लोगों का अंधविश्वास के कारण आत्म हत्या कर लेना ताजा उदाहरण है।लगता है देश के लोग मृग मरीचिका का शिकार होने लगे हैं।जिस प्रकार रेगिस्तान के जानवर रेत के ढेर को पानी का तालाब समझ बैठते हैं और उसकी ओर तेजी से भागने लगते हैं।

भीड़ की इस मरीचिका को सिर्फ कानून बनाकर खत्म नहीं किया जा सकता है हॉं कुछ कमी जरुर लायी जा सकती है। आज जरुरत है अंधविश्वास पर चोट करने की,वैज्ञानिक सोच पैदा करने की,जाति,संप्रदाय से उठ कर सत्यम् शिवम सुन्दरम् और बशुधैव कुटंबकम् की भावना को विकसित करना होगा।हमको स्मरण करना होगा कि हिन्दुस्तान हमेशा इतिहास का केन्द्र विन्दु रहा है।तथा प्रसिद्ध विद्धान और प्राचीन इतिहासकार मैक्समूलर के इन शब्दों को स्मरण करना चाहिए-मैक्समूलर ने 1882 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में व्याखान दिया जिसमें उन्होंने भारत की इन शब्दों में प्रशंसा की है-”अगर हम सारी दुनियॉं की खोज करें ऐसे मुल्क का पता लगाने के लिए कि जिसे प्रकृति ने सबसे संपन्न,शक्तिवाला और सुन्दर बनाया है-जो कुछ हिस्सों में धरती पर स्वर्ग की तरह है-तो मैं हिन्दुस्तान की तरफ इसारा करुंगा“।

आई0 पी0 हृयूमन

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