गठबंधन की राह पर बसपा, मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ सकती है चुनाव

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नई दिल्ली। गुजरात चुनाव में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन की चर्चा सामने आई थी. फिर खबर मिली कि बहुजन समाज पार्टी जितनी सीटें चाहती है, कांग्रेस देने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि दोनों के बीच गठबंधन नहीं हो पाया. गुजरात के चुनाव नतीजों में यह बात साफ तौर पर देखने को मिली कि अगर कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन हुआ होता तो प्रदेश में भाजपा मुंह की बल गिरी होती और वहां कांग्रेस की सरकार होती.

 कांग्रेस पार्टी मध्यप्रदेश के चुनाव में यह गलती नहीं दोहराना चाहती है. खबर है कि 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर मैदान चुनाव लड़ सकती है. इसके लिए संगठन से लेकर पार्टी स्तर पर नेताओं के बीच चर्चा शुरू हो गई है. दोनों दलों के बीच आपसी सहमति तब देखने को मिली जब हाल ही में भिंड और सतना के उपचुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा किया. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा को मात दे दी.

 कांग्रेस पार्टी बसपा के साथ इस दोस्ती को जारी रखना चाहती है. बसपा के हक में जो बात जाती है वह ग्वालियर-चंबल और रीवा संभाग में बसपा के प्रभाव वाली सीटे हैं. कांग्रेस और बसपा के वोट बंटने के कारण ग्वालियर, चंबल और रीवा संभाग की करीब दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों को नुकसान झेलना पड़ता है.

 पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर बसपा की जीत हुई है. तो वहीं भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमग़़ढ, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है. मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी बसपा से गठबंधन की बात को लेकर सहमत हैं. अगर बातचीत परवान चढ़ी तो मध्य प्रदेश में भाजपा औऱ शिवराज सरकार की विदाई तकरीबन तय है.

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