गुजरात चुनावः दलित और आदिवासी वोटों पर सबकी नजर

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electionअहमदाबाद। गुजरात चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मोदी और राहुल गांधी दोनों की नजर दलित और आदिवासी वोटों पर रही. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 14वां सवाल दागते हुए दलितों से जुड़ा मुद्दा उठाया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा- न ज़मीन, न रोज़गार, न स्वास्थ्य, न शिक्षा… गुजरात के दलितों को मिली है बस असुरक्षा.. ऊना की दर्दनाक घटना पर मोदी जी हैं मौन.. इस घटना की जवाबदेही लेगा फिर कौन.. क़ानून तो बहुत बने दलितों के नाम..कौन देगा मगर इन्हें सही अंजाम?

वहीं दूसरी ओर गुजरात में पटेल समुदाय के बाद अगर बीजेपी को किसी दूसरे तबके की भारी नाराजगी झेलनी पड़ रही है तो वह हैं आदिवासी. गुजरात में आदिवासी बहुल इलाके पूरे गुजरात में हैं, और विधानसभा चुनाव के दोनों ही दौर में उनकी मौजूदगी है.

गुजरात में आदिवासी समुदाय के सबसे कद्दावर और रॉबिन हुड स्टाइल नेता छोटू भाई वसावा ने बीजेपी सरकार को आदिवासी विरोधी करार देते हुए इसे सत्ता से उखाड़ फेंकने का प्रण किया है, जिसने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. वसावा ने भीलिस्तान टाइगर सेना और चुनाव लड़ने के लिए भारतीय ट्राइबल पार्टी का गठन किया है और वह पांच विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के सहयोग से चुनाव लड़ रहे हैं.

इसी तरह दलित समुदाय भी बसपा के अलावा जिग्नेश मेवाणी और कांग्रेस के साथ खड़ा है. गुजरात में 7 प्रतिशत दलित वोटों में से भाजपा के खेमे में कुछ भी जाने की संभावना बहुत कम है. इस बीच राहुल गांधी ने दलितों का सवाल तब उठाया है जब गुजरात में दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है. दूसरे चरण का मतदान 14 दिसंबर को होगा और चुनाव के नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे.

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