नई दिल्ली। तीनों तक चलने वाले आरएसएस के संवाद कार्यक्रम पर बसपा प्रमुख सुश्री मायावती ने संघ को कठघरे में खड़ा किया है. एक बयान जारी कर संवाद कार्यक्रम की पोल खोलते हुए बसपा प्रमुख ने कहा है कि देश की राजधानी में हुआ आर.एस.एस. का बहु-प्रचारित संवाद कार्यक्रम राजनीति से ज़्यादा प्रेरित था. ताकि चुनावों के समय भाजपा सरकार की घोर कमियों व देश की ज्वलन्त समस्याओं से लोगों का ध्यान हट जाए.
बसपा प्रमुख ने कहा कि- भाजपा की केंद्र सरकार की विफलताओं के कारण व्यापक जन आक्रोश से आर.एस.एस. भी चिंतित है, क्योंकि धन्नासेठों की तरह इन्होंने भी बीजेपी की जीत के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. इसीलिए लोगों का ध्यान बांटने के लिये आरएसएस इस तरह के कार्यक्रम कर रही है.
जन्मभूमि पर मुसलमानों द्वारा मंदिर बनवाने के संघ प्रमुख मोहन भागवत की अपील पर बसपा प्रमुख ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुस्लिम समाज अगर अनेकों मंदिर भी बना दे तो भी संकीर्ण हिन्दुओं की मुसलमानों को लेकर बुनियादी सोच बदलने वाली नहीं है. क्योंकि इनकी बुनियादी सोच व मानसिकता दलित, मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक विरोधी है. बता दें कि भागवत ने कहा था कि जन्मभूमि पर मन्दिर बने और अगर मुसलमान इसे खुद बनवाते हैं तो बरसों से उन पर उठ रही अंगुलियाँ झुक जायेंगी.
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में बीजेपी के केन्द्र व विभिन्न राज्यों में सत्ता में आने के बाद इनका संकीर्ण जातिवादी व साम्प्रदायिक चाल, चरित्र व चेहरा और ज्यादा बेनकाब हुआ है. आरएसएस को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि- आर.एस.एस. की सोच व मानसिकता अगर इतनी ही सही, मानवीय, सच्ची संवैधानिक व जनहित में ईमानदार होती तो फिर आजादी के बाद तीन बार इस संगठन को प्रतिबन्धित होने का कलंक नहीं झेलना पड़ता. “तीन तलाक’’ पर अध्यादेश लाकर इसे अपराध घोषित करने पर बसपा प्रमुख ने भाजपा पर संवेदनशील मुद्दों पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाया.
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