बसपा व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ गठबंधन के मायने

छत्तीसगढ़। मध्यप्रदेश व राजस्थान में विगत माह में विधानसभा चुनाव संपन्न होने हैं,ऐसे में चुनावी सरगर्मी चरम पर है. इस गर्मी का ताप और तब बढ़ गई जब बसपा प्रमुख मायावती व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अजीत जोगी का संयुक्त रूप से हस्ताक्षर की प्रति सामने आया. इसी के साथ मायावती व जोगी ने संयुक्त रूप से छत्तीसगढ़ की आगामी विधानसभा गठबंधन में लड़ने का फैसला लिया गया. यह फैसला कांग्रेसियों सहित कम्युनिस्टों को तनिक भी रास नहीं आ रहा ह. सबकी भौंहें इस निर्णय से मायावाती पर चढ़ी है. इस निर्णय से खफा कुछ दलित बहुजनवादी कार्यकर्ताओं व समर्थकों में भी देखी जा रहीं हैं. वहीं मनुवादी चिंतकों में इस मूलनिवासी राजनीतिक गठबंधन को लेकर जलन, कपट व भारी आक्रोश देखी जा रही हैं. यह सदमें में है कहीं उनकी ब्राह्मणवादी राजनीति सिकुड़ कर बंद न हो जाए.

भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सहित भारत के अधिकतम राज्यों के सत्ता में काबिज होने के बाद, साथ ही साथ भारत की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावाती व सपा अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा के उपचुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने दलित-बहुजन राजनीति को आगे बढ़ाया दोनों ही सीटें इस गठबंधन ने अपने नाम किया. इसके बाद कर्नाटक में हुए लोकसभा चुनाव भी दलित- बहुजन राजनीति की बढ़ती हुई साख व सक्रियता को दर्शाती है. 

अब बात करते हैं छत्तीसगढ़ की आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर, लोगों में यह कयास लगाई जा रही है बसपा व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ गठबंधन केवल कांग्रेस का ही वोट काटेंगे जिससे भाजपा को बढ़त मिलेंगी. इस तरह से भाजपा फिर यहाँ कमल खिलायंगे. लेकिन यह साधारण बोल- चाल में ही अच्छा लगता है. लेकिन मामला यह है कि पिछले विधानसभा में बसपा ने कांग्रेस के भारी वोट काटे थे जिसके परिणामस्वरूप सूबे में कमल ही खिला था. 20 से 22 सीटों पर बसपा निर्णायक भूमिका में थी. इस तरह से कांग्रेस को करारी हार का सामना करा पड़ा था.

ज्ञातव्य हो कि प्रदेश में दलित आदिवासी व पिछड़े समुदाय की बहुलता है. यहाँ सवर्ण वोटर ज्यादा मायने नहीं रखता है.यहाँ 90 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 29 अनुसूचित जनजाति के लिए व 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. वर्तमान में 10 दलित समुदाय के लिए आरक्षित सीटों में से 01 सीट बसपा के खाते में व शेष 09 सीट बीजेपी के पास है. लेकिन तब तक जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ नामक पार्टी का उदय भी नहीं हुआ था, कांग्रेस पार्टी का बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी कांग्रेस पार्टी में ही थे. वर्तमान में अजीत जोगीकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ लोगों की जुंबा पर चढ़ने लगा है. कांग्रेस व बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी होने के कारण स्थानीय मुद्दे को गौण कर देते हैं. वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ के हित के मुद्दे को यहाँ के मूलनिवासी संस्कृति,जननायक, नायिकाएँ, भाषा- बोली, परिधान आदि को विशेष ध्यान दें रहें हैं. स्थानीय मुद्दे को लेकर यह पार्टी बहुत ही तेजी से पूरे प्रदेश सहित देश भर में अपनी अलग पहचान बनाने लगे हैं. दलित वोट बसपा के खाते में व पिछड़े व आदिवासी वोट जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के खाते में जाने वाली है. विधानसभा चुनाव में यह स्थानीय मुद्दे बहुत ही अधिक महत्त्व रखते हैं. बसपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व पामगढ़ के लोकप्रिय पूर्व विधायक दाऊराम रत्नाकर की फिर से वापसी हो गई है, यह प्रदेश में बसपा का प्रमुख चेहरा माना जाता है. पिछले चुनाव में बसपा से अलग होने के कारण बसपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. दाऊराम रत्नाकर की बसपा में वापसी ने छत्तीसगढ़ बसपा सहित बसपा के राष्ट्रीय पैनल में जान फूंक दी है. दाऊराम रत्नाकर का जांजगीर-चांपा, कोरबा, बिलासपुर इन जिलों के सतनामी वोटर सहित प्रदेश भर के सतनामियों में गहरी पैठ मानी जाती है.

बसपा व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ इस बार निर्णायक भूमिका में हैं. सूबे में 90 सीटें हैं उनमें से 39 सीटें दलित व आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. यहाँ पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी व कांग्रेस के सीटों में मामूली अंतर ही देखने को मिलता था. उस समय तक प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नाम अजीत जोगी ही थे. बसपा व जोगी की पार्टी जैसे भी हो कम से कम सीटें भी जीतकर लाती है बावजूद इसके इनके ही सीटों के समर्थन से सूबे का मुख्यमंत्री का चेहरा साफ हो जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा व विपक्षी कांग्रेस के बीच विधानसभा जीती हुई सीटों का अंतर बहुत ही कम रहेंगी ऐही स्थिति में बसपा व जोगी पार्टी का गठबंधन का समर्थन ही आगामी सूबे के मुखिया सहित मंत्रिमंडल को तय करेंगे.

पिछले विधानसभा में 90 सीटों में सेसत्तारूढ़ भाजपा 49 सीटें, कांग्रेस 39 सीटें व बसपा के खाते में 01 व निर्दलीय 01सीट था. उस समय तक बसपा का स्थानीय कोई बड़ा चेहरा नहीं था साथ ही एकजुटता से चुनाव भी नहीं लड़ो गई थी. इस कारण से अनुसूचित जाति के आरक्षित सीट में 10 में 09 सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था. वहीं कांग्रेस को बस्तर संभाग से बढ़त मिली थी. इस बार भी दलित वोटर को बसपा व आदिवासी व पिछड़े वोटर को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ साधने के फिराक में है. इसके लिए लोकप्रिय प्रत्याशी को यह पार्टी मैदान में उतार रही हैं. जोगी पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में जमकर प्रचार शुरू कर दी है. आदिवासियों में पिछड़ों में जोगी की अच्छी पकड़ मानी जाती है. जिसका फायदा इस बार इस गठबंधन को मिलने वाली है.

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने किसानों के लिए धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने, किसानों के लिए बिजली बिल माफ करने सहित किसानों को कर्ज में छूट संबंधी गाँव,गरीब व किसान की हित से जुड़ी घोषणा पत्र जारी किया है. इससे पहले भी जोगी सूबे के मुख्यमंत्री रहते हुए गाँव, गरीब किसान के साथ ही दलित, आदिवासी व पिछड़े के पक्ष में अनेकों काम किए हैं जो कि आज भी लोगों को मुंह जुबानी याद हैं. जिसका फायदा निश्चित रूप से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ व बहुजन समाज पार्टी को अवश्य मिलेगा.

डॉ. विशाल नंदेश्वर

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