नई दिल्ली। 2019 का लोकसभा चुनाव किसी महायुद्ध से कम नहीं है. जिस तरह से तमाम दलों ने इसके लिए कमर कस ली है, वह युद्ध के आगाज के पहले की तैयारी सरीखी है. इस बीच कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने की संभावना के बीच बसपा प्रमुख मायावती भी अपने किले को दुरुस्त करने में जुट गई हैं. इसके लिए बसपा अपने संगठन को बड़ा करने की तैयारी में है.
अपनी नई रणनीति के तहत पार्टी ने सभी वर्गों को जोड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. इसके साथ ही तमाम मंडलों की सीधी बैठक में बसपा प्रमुख मायावती ने साफ निर्देश दिया है कि हर जिले में 23 सदस्यों की बूथ कमिटियां जल्द बनाई जाएं. पिछले चुनाव तक इनकी संख्या पांच सदस्यों की थी. इसी तरह जिला को-आर्डिनेटर के स्थान पर अब सेक्टर स्तर के प्रभारी बनाए जा रहे हैं. इसमें एक अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष होंगे. कमिटी में सभी वर्गों को भागीदारी देने को कहा गया है. उसमें भी आधे युवाओं को जगह देने के निर्देश हैं.
दरअसल बीएसपी चीफ धीरे-धीरे गैर एनडीए दलों के बीच केंद्र में आ रही हैं. ऐसे में बीजेपी उनकी मजबूत घेराबंदी करना चाहती है, जिससे निपटने के लिए मायावती भी खुद को मजबूत करने में जुट गई है. मायावती लगातार दिल्ली में ही रहकर रोजाना प्रदेश के मंडलों की समीक्षा कर रही हैं.
तो वहीं बसपा प्रमुख का यह भी मानना है कि किसी जीत के लिए अनुशासन जरूरी है. यही वजह रही कि पिछले दिनों अनुशासनहीनता करने वाले कई नेताओं को पार्टी ने या तो बाहर का रास्ता दिखा दिया या फिर उनकी जिम्मेदारी बदल दी. अब संगठन स्तर पर पार्टी में बदलाव से बसपा कितनी मजबूत बनकर उभरती है, यह देखना होगा.
Read it also-यूपी में भी मुजफ्फरपुर जैसा कांड, मायावती ने खोला मोर्चा
- दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-dast
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।