BBAU में प्रोफेसर ने पढ़ाया- बाबासाहेब के अनेक महिलाओं से थे अवैध संबंध और बुद्ध थे अत्याचारी

लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) प्रशासन और प्राध्यापक फिर से विवादों में घिर गए है. पिछले वर्ष विश्वविद्यालय प्रशासन ने जातिगत भेदभाव के आधार पर प्रशासन ने आठ दलित छात्रों को निकाल दिया था. काफी विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन को अपना फैसला लेना पड़ा. बीबीएयू में एक बार फिर दलित वर्ग को टारगेट किया है.

बीबीएयू में समाजाशास्त्र की प्राध्यापिका जया श्रीवास्तव ने लेक्चर के दौरान विवादित और गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की है. उन्होंने बाबासाहेब और तथागत बुद्ध के बारे में जो कहा है उसे लेकर छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई की मांग पर अड़ गए हैं.

समाजशास्त्र विभाग की प्राध्यापिका जया श्रीवास्तव ने क्लास रूम में लेक्चर के दौरान पढ़ाया कि अम्बेडकर के अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ अवैध संबंध थे. उनका अपनी पत्नी के साथ रिश्ता नहीं था. ये मनुवादी प्राध्यापिका यही नहीं रुकी. जया ने आगे कहा कि ज्ञान प्राप्ति की चाहत में बुद्ध ने अपनी पत्नी पर अत्याचार किए, उन्हें छोड़ दिया. ऐसे में उन्हें महिलाओ का हितैषी नहीं माना जा सकता. वह अत्याचारी थे.

बहुजन छात्रों ने जब इसको लिखित में देने के लिए कहा तो वह भड़क गईं. उन्होंने प्रोफेसर से बात करने की तमीज न होने का हवाला दिया. उन्होंने यहां तक कहा है कि तुम्हे मेरी कक्षा में आने की जरुरत नहीं है.

बहुजन छात्र शशिकांत भारती ने पूरे मुद्दे को लेकर एससी/एसटी सेल, कुलपति, समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष समेत कई विभागों को पत्र लिखकर एफआईआर करवाने की मांग की है. छात्रों का कहना है कि बहुजन छात्र-छात्राओं को अपमानित करने और उन्हें परेशान करने के लिए इस तरह की हरकत जया श्रीवास्तव करती रहती हैं.

बहुजन छात्र बताते हैं कि कभी अम्बेडकर का फोटो फड़वा दिया जाता है. कभी लेक्चर में बाबासाहेब को अपमानित करने वाली बात की जाती है. यह सबकुछ यहां का माहौल खराब करने के लिए साजिश के तहत मनुवादी व्यवस्था के लोग करवा रहे हैं. जया श्रीवास्तव खुद शिक्षिका हैं. वह महिलाओं को अम्बेडकर से अवैध संबंध बनाने वाली करार देकर सभी को अपमानित कर रही हैं. इसका कोई भी और कहीं भी प्रमाण नहीं है. बुद्ध को भी उन्होंने जिस तरह से अत्याचारी कहा है, उससे तो साफ है कि यह सुनियोजित तरीके से बुद्धिज्म पर हमला हो रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बीबीएयू में आए थे तो दो छात्रों ने उन्हें काले झंडे दिखाकर वापस जाओ के नारे लगाए थे. छात्र इसी मनुवादी व्यवस्था से पीड़ित हैं. हर कोई उन्हें वोटबैंक का मोहरा बनाना चाहता है, लेकिन अम्बेडकर को कोई नहीं मानता.

4 COMMENTS

  1. क्या मैं जान सकता हूँ की क्या कोई इस औरत की कोई चरित्र की प्रमाणिकता सिद्ध नहीं कर सकता। क्या मई जान सकता हु इसके खिलाफ समाज की तरफ से कोई कार्यवाही की गई की नहीं । इसको सुप्रीम कोर्ट में घसीटना चाहिए। बिना किसी प्रमाण की किसी के भावनावों से खिलवाड करने के लिए।

  2. इस औरत को कोई बताए की बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी का संविधान ना होता तो ये भी प्रोफेसर ना होती। और पङी होती घर के सामान की तरहा दबी कुचली सहमी सी। फिर ये उँची जुबान भी ना होती।
    जय भीम जय भारत”?

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