छत्तीसगढ़। चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी के लिए एक बड़ी खबर है. पार्टी अध्यक्ष कुमारी मायावती के निर्देश के बाद तीन दिग्गज नेताओं की घरवापसी करवा ली गई है. 16 मार्च की देर रात पामगढ़ से तीन बार विधायक रहे वरिष्ठ नेता दाऊ राम रत्नाकर सहित सीपत से विधायक रह चुके रामेश्वर खरे, उदल किरण और आर सी बांझिल को वापस पार्टी में शामिल कर लिया गया है. बसपा प्रमुख मायावती के इस कदम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
22 मार्च 2011 को इन चारों नेताओं समेत अन्य नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधि में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. पार्टी ने दाऊ राम रत्नाकर पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के करीबी और उन्हें अंदरूनी रुप से लाभ पहुंचाने का आरोप भी लगाया था. लंबे समय तक पार्टी का नेतृत्व करने के कारण रत्नाकर की पार्टी कार्यकर्ताओं में दखल काफी अच्छी थी, लिहाजा उनके निष्कासन के बाद बहुत से कार्यकर्ताओं ने पार्टी से अलविदा कह दिया था, इसके बाद वे रत्नाकर की बनाई हुई “बहुजन समाज मुक्ति मोर्चा” में शामिल हो गए थे. इसके बाद प्रदेश में बसपा पटरी पर नहीं आ सकी. लेकिन अब इस दिग्गज नेता की वापसी से बसपा लड़ाई में आ गई है.
प्रदेश चुनाव को लेकर बसपा कितनी गंभीर है यह रत्नाकर समेत अन्य नेताओं की घर वापसी से साफ समझा जा सकता है. छत्तीसगढ़ संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ बसपा अपनी खोई हुई सीटों पर भी वापसी करने का मन बना चुकी है. रत्नाकर की वापसी के फैसले से जहां पुराने कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है वही आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जाग उठी है. 15 मार्च को कांशीराम के जन्मदिन पर ‘सत्ता प्राप्त करो संकल्प’ लेकर बसपा ने विधानसभा चुनाव का बिगुल भी फूंक दिया है.
प्रदेश में बसपा के ताकत की बात करें तो यहां बसपा के 5 लाख 35 हजार से ज्यादा मतदाता हैं, जो राजनीतिक गणित बनाने और बिगाड़ने के लिए काफी है. जब राज्य का गठन हुआ था, तब साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बसपा के 3 विधायक चुने गए थे. 2008 में 2 विधायक और साल 2013 में बसपा का एक विधायक हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा और कांग्रेस के बीच भी गठबंधन की बात चल रही हैं. छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं.
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