जयपुर में आज 13 अप्रैल 2017 को अम्बेडकर के नाम पर ””भक्ति संध्या”” होगी. दो केंद्रीय मंत्री इस अम्बेडकर विरोधी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे. अम्बेडकर जैसा तर्कवादी और भक्तिभाव जैसी मूर्खता! इससे ज्यादा बेहूदा क्या बात होगी?
भीलवाड़ा में बाबा साहब की जीवन भर विरोधी रही कांग्रेस पार्टी का एस.सी. डिपार्टमेंट दूसरी मूर्खता करेगा. 126 किलो दूध से बाबा साहेब की प्रतिमा का अभिषेक किया जायेगा. अभिषेक होगा तो पंडित भी आएंगे, मंत्रोच्चार होगा, गाय के गोबर, दूध, दही, मूत्र आदि का पंचामृत भी अभिषेक में काम में लिया ही जायेगा. अछूत अम्बेडकर कल भीलवाड़ा में पवित्र हो जायेंगे!
तीसरी वाहियात हरकत रायपुर में होगी 5100 कलश की यात्रा निकाली जाएगी. जिस औरत को अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहब ने मंत्री पद खोया, उस औरत के सर पर कलश, घर घर से एक एक नारियल लाया जाएगा. कलश का पानी और नारियल आंबेडकर की प्रतिमा पर चढ़ाये जायेंगे. हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जायेंगे. जिस अम्बेडकर के समाज को आज भी नरेगा, आंगनवाड़ी और मिड डे मील का मटका छूने की आज़ादी नहीं है, उनके नाम पर कलश यात्रा! बेहद दुखद! निंदनीय!
एक और जगह से बाबा साहब की जयंती की पूर्व संध्या पर भजन सत्संग किये जाने की खबर आयी है. एक शहर में लड्डुओं का भोग ‘भगवान आंबेडकर’ को लगाया जायेगा. बाबा साहेब के अनुयायी जातियों के महाकुम्भ कर रहे है, सामुहिक भोज कर रहे है, जिनके कार्डों पर गणेशाय नमः और जय भीम साथ साथ शोभायमान है. भक्तिकालीन अम्बेडकरवादियों के ललाट पर उन्नत किस्म के तिलक आप हरेक जगह देख सकते है. जय भीम के साथ जय श्री राम बोलने वाले मौसमी मेढकों की तो बहार ही आयी हुयी है.
बड़े-बड़े अम्बेडकरवादी हाथों में तरह तरह की अंगूठियां फसाये हुए है, गले में पितर भैरू देवत भोमियाजी लटके पड़े है और हाथ कलवों के जलवों से गुलज़ार है, फिर भी ये सब अम्बेडकरवादी है. राजस्थान में बाबा साहेब की मूर्तियां दलित विरोधी बाबा रामदेव से चंदा ले के कर डोनेट की जा रही है. इन मूर्तियों को देख़ कर ही उबकाई आती है. कहीं डॉ आंबेडकर को किसी मारवाड़ी लाला की शक्ल दे दी गयी है, कहीं हाथ नीचे लटका हुआ है तो कहीं अंगुली \”सबका मालिक एक है \” की भाव भंगिमा लिए हुए है. ये बाबा साहेब है या साई बाबा ? मत लगाओ मूर्ति अगर पैसा नहीं है या समझ नही है तो.
बाबा साहेब की मूर्तियां बन रही है, लग रही है, जल्दी ही मंदिर बन जायेंगे, पूजा होगी, घंटे घड़ियाल बजेंगे, भक्तिभाव से अम्बेडकर के भजन गाये जायेंगे. भीम चालीसा रच दी गयी है, जपते रहियेगा. गुलामी का नया दौर शुरू हो चुका है. जिन जिन चीजों के बाबा साहब सख्त खिलाफ थे, वो सारे पाखण्ड किये जा रहे हैं. बाबा साहेब को अवतार कहा जा रहा है. भगवान बताया जा रहा है. यहाँ तक कि उन्हें ब्रह्मा विष्णु महेश कहा जा रहा है.
हम सब जानते है कि डॉ. अम्बेडकर गौरी, गणपति, राम कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, भय, भाग्य, भगवान् तथा आत्मा व परमात्मा जैसी चीजों के सख्त खिलाफ थे. वे व्यक्ति पूजा और भक्ति भाव के विरोधी थे. उन्होंने इन कथित महात्माओं का भी विरोध किया, उन्होंने कहा इन महात्माओं ने अछूतों की धूल ही उड़ाई है. पर आज हम क्या कर रहे हैं बाबा साहेब के नाम पर? जो कर रहे हैं वह बेहद शर्मनाक है, इससे डॉ. अम्बेडकर और हमारे महापुरुषों एवम महास्त्रियों का कारवां हजार साल पीछे चला जायेगा. इसे रोकिये.
बाबा साहेब का केवल गुणगान और मूर्तिपूजा मत कीजिये. उनके विचारों को दरकिनार करके उन्हें भगवान मत बनाइये. बाबा साहेब की हत्या मत कीजिये. आप गुलाम रहना चाहते है, बेशक रहिये, भारत का संविधान आपको यह आज़ादी देता है, पर डॉ अम्बेडकर को प्रदूषित मत कीजिये. आपका रास्ता लोकतंत्र और संविधान को खा जायेगा. फिर भेदभाव हो, जूते पड़े, आपकी महिलाएं बेइज्जत की जाये और आरक्षण खत्म हो जाये तो किसी को दोष मत दीजिये.
इन बेहूदा मूर्तियों और अपने वाहियात अम्बेडकरवाद के समक्ष सर फोड़ते रहिये. रोते रहिये और हज़ारों साल की गुलामी के रास्ते पर जाने के लिए अपनी नस्लों को धकेल दीजिये. गुलामों से इसके अलावा कोई और अपेक्षा भी तो नहीं की जा सकती है. जो बाबा साहेब के सच्चे मिशनरी साथी है और इस साजिश और संभावित खतरे को समझते हैं, वो बाबा साहेब के दैवीकरण और ब्राह्मणीकरण का पुरजोर विरोध करें. मनुवाद के इस स्वरुप का खुल कर विरोध करे. अम्बेडकरवाद में भक्तिभाव के लिए कोई जगह नहीं है.
-स्वतंत्र पत्रकार एवम सामाजिक कार्यकर्ता