कोलकाता। राजनीति में अब विचारधारा नहीं सत्ता की लड़ाई हो गई है. शायद यही वजह है कि विचारधारा के स्तर पर धुर विरोधी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भाजपा ने साथ मिला लिया है. इन दोनों पार्टियों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को हराने के लिए नदिया जिले में हाथ मिला लिए हैं.
माकपा के जिला स्तर के एक नेता ने इसे ‘सीट बांटने के लिए एक औपचारिक सामंजस्य’ बताते हुए कहा कि पार्टी को कई सीटों पर ऐसा करना पड़ा क्योंकि कई गांववाले तृणमूल के खिलाफ आर-पार की लड़ाई चाहते थे. माकपा भाजपा को अकसर ‘विभाजनकारी ताकत’ बताती रही है. भाजपा की नदिया जिला शाखा के अध्यक्ष ने इसे एक ‘अकेला मामला’ बताया है. दोनों दलों में यह भाईचारा अप्रैल के आखिरी हफ्ते में दिखना शुरू हुआ था जब दोनों दलों ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान तृणमूल कांग्रेस की कथित हिंसा के खिलाफ नदिया जिले के करीमपुर-राणाघाट इलाके में एक संयुक्त विरोध रैली का आयोजन किया था.
पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक 3,358 ग्राम पंचायतों की 48,650 सीटों में से 16,814 पर निर्विरोध चुनाव हो रहा है, वहीं 341 पंचायत समितियों की 9,217 में से 3,059 पर एक ही प्रत्याशी मैदान में है.
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